11 मार्च 2015
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प्रकृति प्रदत्त सुंदरता को शब्दों में उतारना और प्रकृति विरोधी वारदातों पर आवाज उठाना मेरी फितरत है।D
अब तो न गम है तेरे जाने का, न उम्मीद है तेरे आने की, मुझे तो तब भी शिकायत न होती तुझसे, गर तू गलती न करती मुझे आजमाने की।।
प्रिये तुम्हारी सुधि में मैंने, कितनी गजलें लिख डाली, तुमने मंत्र पढ़ा गायत्री, मैंने गीता रच डाली।।