0.0(0)
0 फ़ॉलोअर्स
3 किताबें
अब तो न गम है तेरे जाने का, न उम्मीद है तेरे आने की, मुझे तो तब भी शिकायत न होती तुझसे, गर तू गलती न करती मुझे आजमाने की।।
प्रिये तुम्हारी सुधि में मैंने, कितनी गजलें लिख डाली, तुमने मंत्र पढ़ा गायत्री, मैंने गीता रच डाली।।