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अर्ज़ किया है.. कि निकल पड़ता हूँ अक्सर राहों में..अपना बनाने,,,,मगरूर सभी तूफ़ानों को..!!नशा मुझे अब सिर्फ़ मंज़िलों का है..आग लगा दो गुस्ताख़ सभी मयखानों को..!!याद है मुझे ज़िंदगी तेरी हर