कई राज ऐसे कई जख्म ऐसे
कई राज ऐसे कई जख्म ऐसे जीवन की एक कहानी प्रकाशित न हो जैसे कई दर्द ऐसे कई ख्वाब ऐसे अपने ही उजाड़े हो एक बाग जैसे कई भोर पर एक रात भाड़ी है ऐसे प्रियतम रात गुजारे गैरों की बाँहों में जैसे सारा जहाँ मुझको ढूँढे ,हम तुमको ढूँढे ऐसे कृष्णा को ढूँढे विकल राधा जै