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लेख

14 नवम्बर 2020

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प्रिय बच्चों आपलोगों के साथ बिताया हुआ हर पल हमारे लिए किसी दिवाली से कम नहीं है

आपलोगों के आँखों में जो आसमान छू लेने का ख्वाब देखती हूँ तो लगता है जैसे वो ख्वाब सिर्फ आपलोगों के नहीं है

वो ख्वाब मेरे भी है अगर कभी भी हमारी जरूरत हो तो हम आपके साथ है

मुश्किलें तो आती जाती रहेंगी लेकिन अपने लक्ष्य की ओर हमेशा अग्रसर रहना इन बाधाओं और मुश्किलों के आगे कभी हारना मत

ज़िन्दगी एक स्केच की तरह है और आप लोगों की मुस्कान रंगों की तरह है जो ब्लैक एंड वाइट ज़िन्दगी में घुलकर ज़िन्दगी को और भी रंगीन बनाती है

अंत में बस इतना कहूँगी जो की मैं अक्सर कहती हूँ - ज़िन्दगी में कुछ बनो या न बनो लेकिन एक सच्चा और ईमानदार इंसान जरूर बनना क्यूँकि आज हमारे समाज और राष्ट्र को सबसे ज्यादा इसी की जरूरत है

AYESHA MEHTA की अन्य किताबें

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इस बिछड़न हम कोई गीत लिख दे

3 जुलाई 2020
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इस बिछडन हम कोई गीत लिख दे या लिख दे हम अपनी दुःख भरी कहानी दिन बीते नहीं रतियन कटे नहीं एक अखियन से दूजे अखियन में बहे पानी भूल भुलाने को दिल को बहलाने कोयहाँ कितने खिलौने है दिल को हरसाने को पर तोहरे बिना न जियरा हमरा लागीइन पलकों पर अब कोई ख्वाब नहीं

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कई राज ऐसे कई जख्म ऐसे

14 जुलाई 2020
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कई राज ऐसे कई जख्म ऐसे जीवन की एक कहानी प्रकाशित न हो जैसे कई दर्द ऐसे कई ख्वाब ऐसे अपने ही उजाड़े हो एक बाग जैसे कई भोर पर एक रात भाड़ी है ऐसे प्रियतम रात गुजारे गैरों की बाँहों में जैसे सारा जहाँ मुझको ढूँढे ,हम तुमको ढूँढे ऐसे कृष्णा को ढूँढे विकल राधा जै

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शायरी

17 जुलाई 2020
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तुम सुनो न सुनो हम तुम्हे आवाज़ दे बुलाते रहेंगे तुम मुझे भूल जाओ मगर हम तेरा नाम गुनगुनाते रहेंगे प्यार करके प्यार से मुकर जाओ ये तेरा धरम हम तुम्हे गीत में ढाल कर तुम्ही को गीत सुनाते रहेंगे

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कल्पना

18 जुलाई 2020
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ये वो काल है जो लोगों को उसकी वास्तविकता से अवगत कराया है ! कल्पना की उड़ान बहुत ऊँची होती है और ये इतनी ऊँची होती है कि लोगों का सोच उसी मनोदशा में जीना सीख लेती है ! जब कभी कल्पनाओं का आसमान उनके ऊपर से हट जाता है तो वो वास्तविकता को ढूंढने लग जाते

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रात बेखबर चुपचाप सी है

10 अगस्त 2020
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रात बेखबर चुपचाप सी है आओ मैं तुम्हे तुमसे रूबरू करवाउंगी मेरे डायरी में लिखे हर एक नज्म के किरदार से मिलाऊँगी मैं तुम्हे बतलाऊँगी की जब तुम नहीं थे फिर भी तुम थे जब कभी कभी दर्द आँखों से टपक जाती थी ..... कागजों पर एक बेरंग तस्वी

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शायरी

14 अगस्त 2020
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धरा से लेकर आसमान तक तेरे खून के ही निशान है माँ के आँचल पर लिखा अमिट आजादी तेरे वीरता का पैगाम है नमन करते हैं तुझको ऐ मेरे वतन के सच्चे महबूब आँखें नम है लेकिन तेरी कुर्बानी का हमें अभिमान है

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सड़क

25 अगस्त 2020
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मेरे गाँव से उसके शहर तक बस एक ही सड़क है ा हम दोनों की खामोशियाँ इन सुनसान सड़कों से ही गुजरती है ा मगर हम दोनों कभी नहीं मिलते क्योंकि हमारी दिशाएँ विपरीत है ा अगर वक्त की मेहरबानी सेकभी मिल भी जाये तो वह मुझे पहचानेगा कैसे ?मेरे गालो

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लेख

14 नवम्बर 2020
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प्रिय बच्चों आपलोगों के साथ बिताया हुआ हर पल हमारे लिए किसी दिवाली से कम नहीं है आपलोगों के आँखों में जो आसमान छू लेने का ख्वाब देखती हूँ तो लगता है जैसे वो ख्वाब सिर्फ आपलोगों के नहीं है वो ख्वाब मेरे भी है अगर कभी भी हमारी जरूरत हो तो हम आपके साथ है

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शायरी

10 दिसम्बर 2020
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यूँ बेफिक्र होकर मेरी फिक्र क्यों करता है बात मोहब्बत की हो तो मेरा जिक्र क्यों करता है रब के जगह महबूब को रखो तो रब रूठ जाते हैं तुम तो दिल में हो...यूँ कदमों में सर क्यों झुकता है

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चलो तुम बताओ

18 दिसम्बर 2020
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प्यार तो तुमने भी मुझसे किया था मैं तो तुम्हारा प्यार लिखीचलो तुम बताओ...... झूठ ही सही मगर तुमने भी तो मेरी बेबफाई उससे सुनाई होगी मैं तो तुम्हारी यादों के अंक मेंआंसुओं से तकिये पर तुम्हारी तस्वीर बनाती हूँ चलो तुम बताओ......अपने दर-ओ

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शेर

17 फरवरी 2021
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मेरे आँखों का आँसू क्यों तुम्हारे आँखों से बह रहा है तुम चुप हो मगर तुम्हारी चुप्पी सबकुछ कह रहा है जो कल गुज़री थी मुझपर उसका पछतावा तुम्हे आज क्यों तुम्हारा भी किसी ने दिल तोड़ दिया या तुमने शादी कर लिया

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दो मुट्ठी

17 मार्च 2021
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एक हाथ की मुट्ठी खुली हुई है दूसरी मुट्ठी बंद है जो मुट्ठी खुली हुई है , वह खाली है इसने संजोकर कुछ भी नहीं रखा न आँसू न गम न एहसास न जज्बात जो भी मिला थोड़ा थोड़ा सब में बाँट दिया और जो खुद से भी लिखा पढ़ा नहीं गया वह दिल में दफ़न

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शायरी

30 मार्च 2021
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शाख से है रंग उड़ा मन है बेरंग सा होंठ पर है धूप खिला दर्द ने है आह भरा रंग पर जब रंग चढ़ा रूह से आवाज़ आई ये ज़िन्दगी है आयशा ये भी ज़िन्दगी है क्या

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दाग

29 जून 2021
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बादल का एक टुकड़ा तोड़ा मैने और माटी की कोख़ में दबा दिया एक उम्र से हर उमर तक इंतज़ार करती रही यह सोचती रही कि एक रोज़ बादल फटेगाऔर माटी के कोख से एक दरख्त उगेगालेकिन जो हुआ वह मेरी कल्पना में कभी घटित नहीं हुआ थाएक सुबह माटी की

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