मेरे गाँव से उसके शहर तक
बस एक ही सड़क है ा
हम दोनों की खामोशियाँ
इन सुनसान सड़कों से ही गुजरती है ा
मगर हम दोनों कभी नहीं मिलते
क्योंकि हमारी दिशाएँ विपरीत है ा
अगर वक्त की मेहरबानी से
कभी मिल भी जाये तो
वह मुझे पहचानेगा कैसे ?
मेरे गालों की झुर्रियां और बालों में सफेदी
और उसके झिलमिलाई सी आँखों की रौशनी में
हम दिखेंगे कैसे ?
वह मेरे कदमों की आहट पहचानता है
और मैं उसके धड़कनों की रफ़्तार सुन सकती हूँ
मगर उम्र के इस पड़ाव में
दोनों ही आहट मद्धिम हो जाएगी
हम दोनों तन्हाई का लिबास पहन
बिना महसूस किये एक दूसरे को
उसी सुनसान सड़क से गुज़र जायेंगें