जब छोटे थे तो बड़े होने की ललक थी
अब बड़े हुए तो बचपन के दिन याद आते है
वो मम्मी के साथ रूठना
पापा का मनाना
दादी से शिकायत करना
दादा से दुलार पाना
कितने खूबसूरत थे वो दिन
न जाने कहा गए वो दिन
अब उन दिनों की सिर्फ याद है
सौगात है उस प्यार की जो जिए थे
परिवार तो साथ है
पर उस साथ मैं वो बात कहा
या तो हम वो नहीं
या समय वो नही
फिर आ जय वो बचपन के दिन
जी लू उन्हें उतनी ही ख़ुशी से फिर