आत्म कथा एक लड़की की l
पैदा हुई जो बाबुल के घरखेली कुदी जिस आंगन में समझा, उससे ही अपना घर फिर वो दिनों दिनों बढ़ने लगी बाहर जा कर पढ़ने लगी सजा लिये उसने भी ख्वाब कई केरुगी ऐसा काम जो दे उसे नई पहचान फिर वो एक दिन आया जब उसे बतलाया की ये नही है तेरा घर जाना है तुझे उस घर जिस घर के लोग पराये ना तू उन्हें जाने ना वो तुझे पहच