shabd-logo

बचपन में हर बच्चे को सिखाई गई वो 6 सही बातें, जो बड़े हो कर ‘ग़लत’ निकली

11 मई 2018

150 बार देखा गया 150
featured image

कहते हैं बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिस भी सांचे में ढालो, वैसा ही आकार ले लेते हैं. बच्चों को सही सूरत देने की ज़िम्मेदारी माता-पिता, शिक्षक और परिवार के अन्य लोगों की होती है.

इस काम को वो बख़ूबी अंजाम देते हैं. लेकिन जाने-अनजाने वो बच्चों को कुछ चीज़ें ऐसी भी सिखा देते हैं, जो उन्हें अपनी समझ से ठीक लगता है लेकिन बच्चों के लिहाज़ से ठीक नहीं होता. ऐसी बातें उनके दिमाग़ की गहराई में उतर जाती हैं, जो आगे चल कर शायद उनके स्वभाव में भी दिखने लगे. देखा जाए तो इसमें सिखाने वाले की भी ग़लती नहीं होती. लोग वही सिखाते हैं, जो उन्होंने अपने माता-पिता या ज़िंदगी के अनुभवों से सीखा है. लेकिन जो उन्होंने सीखा, ज़रूरी नहीं कि वो उनके बच्चों की ज़िंदगी के लिए भी सही साबित होगा.


बड़ों से बहस मत करो

article-image
Image Source: zeenews

बड़ों की इज़्ज़त करना और उनसे बहस न करना, दो अलग बात है. बच्चे को बहस करने से रोकने से उसके ऊपर नकारातम्क प्रभाव पड़ता है. वो अपनी बात खुल कर नहीं रख पाता. उसे ऐसा लगने लगता है जैसे उसकी बातों की कोई अहमियत नहीं है, जिससे ये भी हो सकता है कि वो घर वालों से कटा-कटा रहने लगे. बच्चों के ऊपर अपनी बातों को थोपने से बेहतर है उसे समझाया जाए. बेश्क एक बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से बहुत बड़े फ़ैसले न ले पाए, बचकानी बातें करे, फिर भी उसको बोलने से रोकना उसके मानसिक विकास के लिए ठीक नहीं होगा.


हमेशा अपने काम से काम रखना चाहिए

article-image
Image Source: positivepsychologyprogram

अगर माता-पिता अपने बच्चों को ये सिखाते हैं कि कभी दूसरों के मामले में टांग नहीं घुसानी चाहिए, तो इससे वो अपने बच्चे को स्वार्थी बनना सिखा रहे हैं. वो बच्चा बड़ा हो कर कभी दूसरों की मदद के लिए अपना हाथ आगे नहीं बढ़ाएगा. ज़रूरतमंदों के लिए खड़ा होने के बारे में नहीं सोचेगा. यहां तक कि जो चीज़ उसे सही लगती है, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से उससे नहीं जुड़ी है, उसके लिए आवाज़ नहीं उठाएगा. कुल मिला कर वो एक गै़र ज़िम्मेदार नागरिक और मतलबी इंसान बनेगा.


खेल -कूद कम करो

article-image
Image Source: jfkastro

सभी माता-पिता अपने बच्चे के भविष्य के लिए चिंतित रहते हैं. उन्हें लगता है कि बच्चों का भविष्य तभी अच्छा हो सकता है, जब वह पढ़ने में अच्छा हो. उनके लिए खेल-कूद वक़्त की बर्बादी है. पढ़ना बच्चों के लिए ज़रूरी है, इससे कोई इंकार नहीं करता. लेकिन पढ़ाई के बोझ तले उसकी अन्य प्रतिभाओं को दबा कर मार देना, सही नहीं हो सकता. अपने बच्चे के भीतर अन्य प्रतिभाओं को संवरने का मौका दीजिए. किसी महान इंसान ने कहा था कि एक मछली की प्रतिभा उसके पेड़ पर चढ़ने की क्षमता से नहीं आंकी जा सकती. मछली को बंदर बनाने की कोशिश में उसकी असल प्रतिभा की मौत हो जाएगी.


कम दोस्त बनाओ

article-image
Image Source: aifs

इंसान एक सामाजिक प्राणी है, वो समाज के बीच में समाज के साथ रहना चाहता है. बच्चों के लिए दोस्तों का ग्रुप ही उसका समाज होता है. मां-बाप का मानना होता है कि ज़्यादा दोस्त होने से बच्चे बिगड़ जाएंगे, उनका ध्यान पढ़ाई में कम लगेगा. अगर बच्चे को उसके हमउम्र बच्चों से काट दिया जाए, तो उसके मानसिक विकास पर असर पड़ेगा. बहुत सी ऐसी बातें हैं जो सिर्फ़ हम अपने दोस्तों से ही कर सकते हैं. मां-बाप अपने बच्चों के अच्छे दोस्त हो सकते हैं लेकिन वो उसके दोस्तों की जगह नहीं ले सकते. सही व्यक्तित्व के विकास के लिए भी बच्चों के दोस्त होने ज़रूरी हैं.


फ़ोन और टीवी से दूर रखना

article-image
Image Source: star2

बहुत छोटे बच्चे को मन बहलाने के लिए फ़ोन देना भी ग़लत है और बड़े बच्चों को फ़ोन से बिल्कुल दूर रखना भी ग़लत है. अपने बच्चों को तकनीक से घुलने-मिलने न देना समझदारी नहीं कही जाएगी. तकनीक की लत बुरी चीज़ है, उस पर निर्भरता भी बच्चे की प्रतिभा को छंद कर देगी. लेकिन बच्चों को टीवी-फ़ोन से दूर रखना, आज के समय में अव्यवहारिक बात है. उनके ऊपर नज़र रखी जाने चाहिए. उन्हें बड़ों के दिशा-निर्देश की ज़रूरत है.


लिंगभेदी बातें सिखाना

article-image
Image Source: momjunction

शुरू से बच्चों के दिमाग़ में लिंगभेदी बातें डालनी शुरू कर दी जाती हैं. लड़कियों को कैसे बैठना चाहिए, लड़कों को कैसे चलना चाहिए, लड़के रोते नहीं हैं, लड़कियां लड़कों वाले गेम नहीं खेलतीं इत्यादी. ये छोटी-छोटी बातें बच्चे को भीतर से Sexist बनाती है. ये लड़कों के लिए भी उतना ही ख़तरनाक हैं, जितना लड़कियों के लिए. इन बातों से बच्चों के मन के भीतर श्रेष्टता का भाव या आत्मविश्वास की कमी हो सकती है. ये आपके बच्चे के लिए ख़तरनाक तो है ही, समाज के लिए भी ख़तरनाक है.

सिर्फ़ बच्चों को सीखने की ज़रूरत नहीं है, माता-पिता की महानता को कटघरे में खड़े किए बिना भी हम सीखने की सलाह दे सकते हैं.

बचपन में हर बच्चे को सिखाई गई वो 6 सही बातें, जो बड़े हो कर ‘ग़लत’ निकली

हेमंत सैनी की अन्य किताबें

1

सोनम के रिसेप्शन में सलमान-शाहरुख का डांस, Videos वायरल

9 मई 2018
0
0
0

मंगलवार को सोनम कपूर अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड आनंद आहूजा के साथ 7 फेरों के बंधन में बंध गईं. एक्ट्रेस की हाई प्रोफाइल वेडिंग सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रही है. मंगलवार की शाम को मुंबई के फाइव स्टार होटल लीला में वेडिंग रिसेप्शन रखा गया. जिसमें बॉलीवुड सेलेब्स का जमावड़ा लगा. सभी ने जमकर मस्ती और धमाल

2

रेलवे स्टेशन पर फ्री वाईफाई से कुली ने की पढ़ाई, पास की लोक सेवा आयोग की परीक्षा

9 मई 2018
0
0
0

एर्णाकुलम। ये सच ही कहा गया है कि अगर किसी ने कुछ करने की ठान ली, तो फिर जीवन में कोई मुश्किल उसे मुकाम हासिल करने से नहीं रोक सकती। इसकी मिसाल केरल कए एर्णाकुलम रेलवे स्टेशन पर देखने को मिली, जहां काम करने वाले एक कुली ने प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की है। स्टेशन

3

ऐसा क्या लिखा है नरेंद्र मोदी के इन पोस्टर्स पर, जो दिल्ली पुलिस इन्हें खोज-खोजकर हटा रही है!

11 मई 2018
0
0
0

दलाई लामा को जानते हैं आप? लामा बौद्ध धर्मगुरु को कहते हैं. दलाई लामा तिब्बत के निर्वासित धर्मगुरु हैं, जो भारत में पनाह पाए हुए हैं. कुछ लोगों की माने तो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दलाई लामा हैं. बस स्पेलिंग में ज़रा सा हेर-फेर है. इन ‘अज्ञात’ लोगों ने शहर-ए-दिल्ल

4

बचपन में हर बच्चे को सिखाई गई वो 6 सही बातें, जो बड़े हो कर ‘ग़लत’ निकली

11 मई 2018
0
0
0

कहते हैं बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिस भी सांचे में ढालो, वैसा ही आकार ले लेते हैं. बच्चों को सही सूरत देने की ज़िम्मेदारी माता-पिता, शिक्षक और परिवार के अन्य लोगों की होती है.इस काम को वो बख़ूबी अंजाम देते हैं. लेकिन जाने-अनजाने वो बच्चों को कुछ चीज़ें ऐसी भी स

5

1.27 करोड़ की सोने की शर्ट पहनने वाले ‘गोल्डमैन’ दत्तात्रेय जिसकी पत्थरों से कुचल कर हत्या कर दी गई थी

11 मई 2018
0
0
1

दत्तात्रेय फुगे शायद आप इस नाम से पूरी तरह वाकिफ़ न हो, लेकिन हम आपको बता देना चाहते हैं कि ये वही शख्स हैं, जो तीन साल पहले करीब सवा करोड़ रुपये की गोल्ड की शर्ट पहनकर चर्चा में आए थे. पुणे के 44 वर्षीय दत्तात्रेय फुगे की एक साल पहले कुछ ह

---

किताब पढ़िए