तीन दिन तक अछूत की तरह रहना
कही नही जाना,अलग धरती का बिछौना
मिलता रहने को घर का अंदर का कोना
अलग खाना किसी वस्तु को ना छूना
महावारी के पुराने समय वो दिन
सब कहते गंदगी है अभी
किसी को अपना मुंह नही दिखाना
जब शुद्ध हो तभी सामने आना
कितना कठिन होगा उन नारी का जीना
जिसने यह सब सहा होगा
शुक्र है का बदल गया जमाना
नारियों का सरल हो गया जीवन बिताना
अब पीरियड्स गंदगी नही जीवन क्रिया है
मां बनने की शुरूआती प्रकिया है
साफ सुथरा रहकर अब नारी ने जिया है,
शिक्षित होकर एक दूसरी नारी का साथ दिया है।
-सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान