मायका होता स्नेह भरा,
हर बेटी को छोड़ कर भी जाना पड़ता,
ससुराल में हर रस्म-रिवाज,
मान -मर्यादा, धर्म-कर्त्तव्य को निभाना पड़ता
लेकिन बंधी रहती है मायके की डोर से,
उसी से शक्ति पा कर करती हर कार्य
जोश और पोर से,
सासुमां में मां ढूंढती, ननद देवर में भाई-बहन,
ससुरजी में पिता खोजती
देवरानी-जेठानी में निज सखियन,
अपने बच्चों में खुद का बचपन,
साजन में मिल जाते जब वो अरमान,
संजोया करती थी जो मायके के आंगन,
मिल जाता सबकुछ फिर भी
जीवन भर बंधी रहती मायके की
मधुर यादों की डोर से....!!!
-सीमा गुप्ता