ससुराल की दहलीज पर
रखा जब मेरा पहला कदम
तेज हो रही थी मेरी धडकन
सासें चल रही थी सननसनन
मस्त थे सब करने पूरी रस्म
था नई नवेली बहु काआगमन
पर मेरे मन में चल रहा जंगम
अच्छे बुरे विचारो का संगम
सास का खौफ जेठानी का रोब
ससुर की आज्ञा जेठजी का जोर
ननद देवर की फरमाइश का शोर
पति का प्यार नए जीवन की डोर
कभी खुशी कभी डर से भरे मन घोर
थकान से भरी सोचूं कब होगी भोर
बैठा कर सास ने सिर चूम प्यार किया
नजर उतार कर सबकुछ वार दिया
जेठानी ने गले लगाकर लाड़ किया
जेठजी ने भाई जैसा अधिकार दिया
ननद देवर ने साथ बैठकर साथ दिया
ससुराल में जैसै खुद सपनों ने साकार किया।
- सीमागुप्ता,अलवर,राजस्थान