नारी तू
नारी तू बलिदान की हस्ती है,
हर क्षण बिना शिकन के हसंती है,
तेरे भरोसे रिश्तों की बस्ती बसती है
साहस, होंसले का जज्बा तू रखती है,
आज की नारी सबसे आगे रहती है,
ग़म में जलती नही,अंगारे उगलती है,
पैरों की जूती नहीं किसी की,
अपने दम पर सारे जहां में जीती है,
नारी तू कम नहीं…किसी से भी,,,
अपनी जीत का परचम फहराती है,
सर्वगुण, सारी परिस्थिति में फिट हो जाती।
-सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान
-सीमा गुप्ता