नारी सीमांजलि; नारी के प्रत्येक पड़ाव को अपने शब्द देकर काव्य रूप में लिखती हूं।
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<p>नारी तू</p> <p>नारी तू बलिदान की हस्ती है,<br> हर क्षण बिना शिकन के हसंती है,<br> तेरे भरोसे रिश्
<p><br></p> <p><br></p> <p><br></p> <p>पीहर आने के बाद<br> कितने भी बड़े क्यों हो जाएं,<br> ससुराल स
<p>मायका होता स्नेह भरा,</p> <p>हर बेटी को छोड़ कर भी जाना पड़ता,</p> <p>ससुराल में हर रस्म-रिवाज,</
<p>बाल दिवस</p> <p>चाचा नेहरु जी की वर्ष गांठ,</p> <p>बहता है इस खुशियों का सैलाब,</p> <p>बच्चे &nbs
<h4><br></h4> <h4>नारी के जीवन की शुरुआत</h4> <h4>नन्ही कली बिटिया से होता है।</h4> <h4>जब बिटिया का
<p>नमन मंच 🙏🙏</p> <p> </p> <p>- स्वार्थ से परे✍️✍️</p> <p><br></p> <p>मैं फिर खोजती हूं</p> <
<p>--पीहर आने के बाद✍️✍️<br> <br> कितने भी बड़े क्यों हो जाएं,<br> ससुराल से पीहर आने के बाद,<br> मन
<p>बिटिया चली जाती है पिया के देश,<br> प्यारी सी यादें देकर अपनी आंखों में कुछ सपने लेकर<br> पायल
<p>बिटिया चली जाती है पिया के देश</p> <p> प्यारी सी यादें देकर अपनी आंखों में कुछ सपने लेकर</p>
मै नारीनही हूं हारी रहता अविरल काम जारीसुबह की चाय से रात का भोजनबना कर सोचती हूं मै हू़ं किस्मत वालीबाहर भीतर की जो भी जिम्मेदारी झाडूं पोछा,चौका-बरतन परिवार सदस्यकरती काम सबका
नारी तुम गीता हो तुम्ही सीता होनारी तुम प्रेम हो,तुम ही स्नेह होआस्था हो, विश्वास हो,टूटी हुई उम्मीदों कीसम्पूर्ण आस होघर की शान होपरिवार की मान होनारी तुम संगीत हो,सुर ताल लय भी होतुम जननी , विध
ससुराल की दहलीज पर रखा जब मेरा पहला कदम तेज हो रही थी मेरी धडकन सासें चल रही थी सननसनन मस्त थे सब करने पूरी रस्म था नई नवेली बहु काआगमन पर मेरे मन में चल रहा जंगम अच्छे बुरे विचारो का संगम स
तीन दिन तक अछूत की तरह रहना कही नही जाना,अलग धरती का बिछौना मिलता रहने को घर का अंदर का कोना अलग खाना किसी वस्तु को ना छूना महावारी के पुराने समय वो दिन सब कहते गंदगी है अभी किसी को अपना मुंह न