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-प्रेम की ओर

राजस्थान सीमा गुप्ता अलवर

4 अध्याय
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प्रेम,प्रीत या इश्क़ रूह से होता है तो दिव्यता को दर्शाता है,वह प्रेम तन का नहीं मन के भावों से जुड़ता है और हां,ऐसा जुड़ता है कि कभी खत्म ही नहीं होता । वासना की ओर नहीं वह उपासना से निभता है। तनिक देर का नहीं,अमर होता है।युग युग तक उसका जिक्र होता है। 

prem ki or

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पुस्तक के भाग

1

मनमीत प्रथम आलिंगन

22 जून 2023
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-मनमीत प्रथम आलिंगन प्रथम आलिंगन उनका पाकर तन में रोमांच छाया। स्पर्श प्रीत भरी छुअन। गौर कपोलों पर लाली लाया। प्रेम रस की छलकी आंखें,होंठों पर मुस्कान लाया। मधुर मिलन सजन संग,सोलह श्रृंगार

2

मनमीत प्रथम आलिंगन

22 जून 2023
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-मनमीत प्रथम आलिंगन प्रथम आलिंगन उनका पाकर तन में रोमांच छाया। स्पर्श प्रीत भरी छुअन। गौर कपोलों पर लाली लाया। प्रेम रस की छलकी आंखें,होंठों पर मुस्कान लाया। मधुर मिलन सजन संग,सोलह श्रृंगार भ

3

बंधन पाक

22 जून 2023
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उस बंधन की दूं दाद, न उम्र की ग़लती का हाथ। न जन्म का पुराना साथ, ऊपर से बनी जोड़ी रब हाथ। यह प्रणय बंधन था खास, बंधा  पावन रीति-रिवाज। तन-मन से एक साथ, लगाव, सामंजस्य, सौहार्द । समर्पण और विश

4

नारी तुम हो महान

7 मार्च 2024
2
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              -नारी तुम हो महान नारी तुम तो हो महान, नारी तुम सकल गुणों की खान। धर्म, कर्म, नेह, प्यार , त्याग, धार सहनशीलता और अनुराग। मायके या खुद का ससुराल, दोनों घर की रखती तुम लाज। अपनी

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