प्रेम,प्रीत या इश्क़ रूह से होता है तो दिव्यता को दर्शाता है,वह प्रेम तन का नहीं मन के भावों से जुड़ता है और हां,ऐसा जुड़ता है कि कभी खत्म ही नहीं होता । वासना की ओर नहीं वह उपासना से निभता है। तनिक देर का नहीं,अमर होता है।युग युग तक उसका जिक्र होता है।
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