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बदरिया

5 अप्रैल 2022

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चान छुपउले जाली कहवाँ , घुँघटा तनिक उठाव ।

बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।

झुलस रहल धरती के काया छाया ना भगवान लगे ।

तोहरे बिना ये हो बदरी सब कुछ अब सुनसान लगे ।

लह लह लहके रेह सिवाने कातर नजर हटाव ।

बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।

पेंड़ कटत बा निशिदिन चिरईन के खोतवा बिरान भइल ।

खेत कियारी नदी कछारी सगरों जस शमशान भईल ।

जार रहल बा देहियां सूरज के तनिका समुझाव ।

बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।

गोरुअन के सुबिधा के दुबिधा घास खंचोली पाईं ना ।

गाय के थाने दूध ना उतरे दुःख बतावल जाई ना ।

पुरुवा के संग चुरुवा रोपले ठाढ़ ह पूरा गांव ।

बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।

अइसन का भकुआय गयल बाड़ू हमके समुझावा ।

हिय में कउनो पीर होखे त आवा बइठ बतावा ।

सुख दुःख मिलके बाँट लिहल जाइ पिपरा के छाँव ।

बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।

✍️ धीरेन्द्र पांचाल

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