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आखिर कब तक

11 मार्च 2022

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आखिर कब तक बचाता खुदा आपको ।

एक दिन लगनी ही थी बद्दुआ आपको ।

जुबां से गिराते रहे आप शोले ।

थे मजहबी नारों में नेता जी बोले ।

उठाओ बंदूकें और भून डालो सालों को ।

तिलक , जनेऊ व तलवार वालों को ।

आग झुग्गी में लगती रही शाम को ।

जाने कैसे लगा है धुआँ आपको ।

हमने देखे न भूले हैं मंजर कई ।

लाश खेतों में थी वो दिगम्बर कई ।

तब मरती रहीं गायें गौशालों में ।

आप जलाते रहे दीया उजालों में ।

✍️ धीरेन्द्र पांचाल

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आखिर कब तक

11 मार्च 2022
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आखिर कब तक बचाता खुदा आपको । एक दिन लगनी ही थी बद्दुआ आपको । जुबां से गिराते रहे आप शोले । थे मजहबी नारों में नेता जी बोले । उठाओ बंदूकें और भून डालो सालों को । तिलक , जनेऊ व तलवार वालों को । आग

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14 मार्च 2022
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