इसमें रंच मात्र भी आश्चर्य नहीं कि भारत में कुछ संगठन राजनीतिक लाभ के लिए और कुछ भ्रमित लोग धर्म के नाम पर फिलीस्तीन की आजादी के नाम पर हमास द्वारा की जा रही बर्बरता का समर्थन कर रहे हैं| क्यूंकि इसके बीज कुछ सौ वर्ष पहले तत्कालीन नेताओं द्वारा की गयी उस ऐतिहासिक भूल से बो दिए गए थे जिसके अंतर्गत खिलाफत आन्दोलन के नाम पर भारतीय मुसलामानों को धार्मिक आधार पर अरब के मुसलमानों के साथ जोड़ दिया गया जबकि हिन्दुस्तान के सुल्तानों ने खलीफा के नाम का खुतबा पढवाना सदियों पहले ही बंद करवा दिया था|
हालाँकि फिलीस्तीनी नागरिकों को अपनी आज़ादी और अपने भविष्य के लिए लड़ने का पूरा अधिकार है किन्तु आज़ादी की लडाई के नाम पर निर्दोष नागरिकों पर हो रही बर्बरता का सभी को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए|