विश्व अभी रूस यूक्रेन युद्ध की विभीषिका झेल ही रहा था, भारत सहित संयुक्तराष्ट्र के युद्धविराम के लिए किये गए प्रयास अपर्याप्त ही प्रतीत हो रहे थे, कि अचानक इजराइल और हमास में युद्ध छिड़ गया|
कहने को तो हमास फिलीस्तीन की आज़ादी के लिए इजराइल से लड़ने वाला एक संगठन है, किन्तु असलियत में हमास एक आतंकी संगठन से बढ़कर और कुछ नहीं|
पिछले कुछ दिनों से सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर कुछ विडियो क्लिप्स वायरल हो रहीं हैं जिनमें हमास के आतंकी बंधक महिलाओं का उत्पीडन करते दिखाई दे रहे हैं| इन्हीं में से एक क्लिप में कुछ हमास आतंकी एक इजराइली या जर्मन महिला के निर्वस्त्र शव को खुली गाडी में घुमाते और अपमानित करते दिखाई दे रहे हैं साथ ही वे धार्मिक एवं आज़ादी के नारे लगा रहे हैं|
ये कैसे आज़ादी के सिपाही हैं और कैसी आज़ादी चाहिए इन्हें| जिनमें नाममात्र की इंसानियत तक नहीं वो एक आज़ाद राष्ट्र बना सकते हैं क्या?
चीन और रूस जैसे राष्ट्रों को ये समझना होगा, जिनकी वजह से आज भी हमास प्रतिबंधित संगठन नहीं बन पाया है, कि ऐसी विचारधारा समूची इंसानियत की दुशमन है, इनका किसी प्रकार से किया गया समर्थ इंसानियत के प्रति किया गया अक्षम्य अपराध है|