shabd-logo

नस्लीय हिंसा

12 अगस्त 2023

5 बार देखा गया 5

 नस्लीय हिंसा से जलते फ़्रांस को देखकर सहसा ही अपने देश के एक वरिष्ठ नेता याद आ गए जो अभी हाल ही में भारत में तथाकथित नस्लीय भेदभाव के विरुद्ध पश्चिमी देशों को एकजुट होकर हस्तक्षेप करने का आवाहन कर रहे थे| शायद कुछ लोगों को सिर्फ अपने देश में समस्याएं दिखती हैं और दूसरे देशों खासतौर पर पश्चिमी देशों में मौजूद समान समस्याओं पर आँख मूँद लेते हैं| 

हालाँकि पश्चिमी देशों का सैकड़ों वर्षों का इतिहास दास प्रथा से भरा पड़ा है, जहाँ अफ़्रीकी मूल के लोगों को नारकीय जीवन जीने को अभिशप्त किया गया था, किन्तु उसे श्वेत व्यक्ति के उत्तरदायित्व के हास्यास्पद सिद्धांत के अंतर्गत उचित ठहरा दिया गया कि सभ्य श्वेत का उत्तरदायित्व है कि वो
असभ्य अश्वेत को सभ्य बनाये| 

इसी अवधारणा के अंतर्गत इन तथाकथित सभ्य लोगों के शासक वर्ग ने असभ्य लोगों के लिए कठोर कानून बनाये, जिनसे मानसिक तौर पर ये सभ्य लोग आज भी जुड़ाव रखते हैं| 

फलस्वरूप, एक अल्जीरियाई मूल के किशोर नाहेल को फ़्रांस के नानटेरे शहर में एक पुलिस अधिकारी गोली मार देता है| और फ़्रांस जल उठता है| ये कोई एकमात्र घटना नहीं है| अभी कुछ साल पहले पेरिस में एक अश्वेत संगीत निर्माता की चार पुलिस कर्मियों द्वारा निर्ममता से पिटाई का विडियो सामने आया था, जिसको लेकर काफी बवाल भी हुआ था| 

मई 2020 में अमेरिका के मिनीपोलिस में अश्वेत जॉर्ज फ्लोयेड की पुलिस कर्मियों द्वारा की गयी हत्या और उसके बाद हुई नस्लीय हिंसा को कौन भूल सकता है, जिसका विरोध समूचे विश्व में हुआ था| 

आखिर क्यूँ लगातार इस तरह की हिंसा हो रहीं हैं? क्यों एक व्यक्ति पर हुआ अत्याचार उसके सजातीय लोगों को इस प्रकार आंदोलित कर देता है? 

यदि हम इस प्रकार की सभी घटनाओं के कारणों को गहराई से समझने की कोशिश करें, तो हमें पता चलेगा की इनका मूल कारण इन लोगों की बुनियादी आवश्यकताएं हैं| लगभग सभी पश्चिमी देश के कानून मूलतः किसी प्रकार के भेदभाव का समर्थन नहीं करते, नस्ल विशेष जो की अधिकांशतः अल्पसंख्यक होते हैं, उनके लिए किसी प्रकार की अलग योजनायें या छूट नहीं देते हैं| जिससे कि ये
अल्पसंख्यक समाज जोकि इन देशों की पूर्ववर्ती कॉलोनी से सम्बन्ध रखते हैं, आज भी सामाजिक तौर पर दोयम दर्जे के नागरिक हैं| जिन्हें एक सम्मानित जीवन जीने के लिए बुनियादी आवश्यकताएं भी उपलब्ध नहीं हैं, और धीरे धीरे ये हाशिये पर धकेल दिए गए हैं| इसलिए जब कोई नाहेल या जॉर्ज फ्लोयेड अत्याचार का शिकार होता है तो वो घटना उन सभी शोषित वर्ग के लिए उत्प्रेरक का कार्य करती है और समूचे विश्व का शोषित समाज उठ खड़ा होता है| 

समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब ऐसी किसी हिंसा के मूल कारण में जाए बिना, शोषित वर्ग की समस्याओं को सुलझाने के बजाय आन्दोलन को बेरहमी से कुचल दिया जाता है| 

हालाँकि इस प्रकार की घटनाओं और उनसे उपजे हालातों का एक पक्ष और भी है| विश्व के लगभग सभी देश शरणार्थी समस्या से जूझ रहे हैं| कभी किसी समय शरणार्थी के रूप में गिडगिडाते हुए आने वाले लोग धीरे धीरे देश में बुनियादी आवश्यकताओं की मांग करने के साथ ही अराजकता फैलाने लगते हैं| वरना, अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए कौन सभ्य नागरिक अपने ही देश में आग लगा देगा|
क्या फ़्रांस के पुस्तकालय में जलती हुई हजारों पुस्तकों से नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय की जलती हुई पुस्तकों की याद ताज़ा नहीं हो गयी?  पुस्तकालय को आग के हवाले करने वाले सभ्य तो
नहीं हो सकते| इन दोनों घटनाओं में सैकड़ों वर्ष का अंतर होने से क्या ये निष्कर्ष नहीं निकलता की बर्बरता और अज्ञानता आज भी कुछ लोगों में वैसे ही विद्यमान है जैसे मध्य युग में थी| 

क्या ऐसे बर्बर लोगों के लिए जीवन उन्नति की योजनायें चलाने या उन्हें अधिक छूट या अधिकार देने से वो सभ्य हो जायेंगे? कभी नहीं, क्यूंकि ऐसे असभ्य और बर्बर लोग किसी न किसी बहाने से हिंसक आन्दोलन करते ही  रहेंगे और शोषित वर्ग ऐसे लोगों के उकसाने पर उनका हिस्सा बनता रहेगा| 

ऐसी समस्याओं से सफलतापूर्वक निपटने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जहाँ हिंसा में लिप्त दंगाईयों को चिन्हित कर सख्ती से निपटने के साथ ही उपेक्षित वर्ग को जीवन की बुनियादी जरूरतें एवं समान अवसर देना आवश्यक है|  

अर्जित मिश्रा की अन्य किताबें

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

सही कहा आपने 👌🙏

15 अगस्त 2023

1

ममता

12 अगस्त 2023
1
1
1

 आज पुश्तैनी संपत्ति से सम्बंधित एक काम के सिलसिले में तहसील कार्यालय जाना हुआ| चूँकि सम्बंधित बाबू से बात हो चुकी थी, इसलिए मैं सीधे न्यायलय कक्ष के पास स्थित उसके कमरे में चला गया| उस समय वो किसी से

2

गुमराह

12 अगस्त 2023
1
1
1

 अभी हाल में रिलीज़ हुई फिल्म आदिपुरुष के विरुद्ध हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका की सुनवाई के दौरान माननीय न्यायाधीश की टिप्पणी में एक सवाल छुपा है, हम सब के लिए| हालांकि माननीय न्यायाधीश की मंशा ये बतान

3

नस्लीय हिंसा

12 अगस्त 2023
1
1
1

 नस्लीय हिंसा से जलते फ़्रांस को देखकर सहसा ही अपने देश के एक वरिष्ठ नेता याद आ गए जो अभी हाल ही में भारत में तथाकथित नस्लीय भेदभाव के विरुद्ध पश्चिमी देशों को एकजुट होकर हस्तक्षेप करने का आवाहन कर रहे

4

तिब्बत

12 अगस्त 2023
1
1
1

 तिब्बत के सर्वोच्च धर्मगुरु एवं भारत के धर्मशाला में स्थापित निर्वासित सरकार के प्रमुख  दलाई लामा ने यह बयान देकर सबको चौंका दिया, कि तिब्बत चीन से स्वतंत्रता नहीं अपितु चीन के अधीन रहकर स्वायत्तता

5

हिन्दुस्तानी एजेंसी

21 सितम्बर 2023
0
0
0

 अभी कुछ महीने पहले खबर आई थी की कुछ खालिस्तानी आतंकवादी विदेशी धरती पर अलग-अलग हालातों में मारे गए| कोई कुछ खुलकर तो नहीं बोल रहा था पर हमारे जैसे लोग, जो बचपन से जेम्स बांड जैसी फ़िल्में देखकर बड़े हु

6

हमास

9 अक्टूबर 2023
1
1
1

 विश्व अभी रूस यूक्रेन युद्ध की विभीषिका झेल ही रहा था, भारत सहित संयुक्तराष्ट्र के युद्धविराम के लिए किये गए प्रयास अपर्याप्त ही प्रतीत हो रहे थे, कि अचानक  इजराइल और हमास में युद्ध छिड़ गया|   कहने

7

बर्बरता का

10 अक्टूबर 2023
0
0
0

 इसमें रंच मात्र भी आश्चर्य नहीं कि भारत में कुछ संगठन राजनीतिक लाभ के लिए और कुछ भ्रमित लोग धर्म के नाम पर फिलीस्तीन की आजादी के नाम पर हमास द्वारा की जा रही बर्बरता का समर्थन कर रहे हैं| क्यूंकि इसक

8

नव वर्ष

1 जनवरी 2024
0
0
0

 साथियों, आज के दिन समस्त विश्व में नव वर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है| फिर भी हमारे देश में कुछ विशेष विचारधारा के लोग इसे पाश्चात्य नव वर्ष की संज्ञा देकर इसका विरोध करते रहे हैं| सोशल साइट

9

सरकारी नौकरी

1 फरवरी 2024
0
0
0

 आज की पीढ़ी के बच्चों के पास करियर के अनेक आयाम भी हैं और उनमें करियर के प्रति स्पष्टता भी है| किन्तु हमारे ज़मानेमें तो अधिकाँश बच्चे सिर्फ इसलिए पढ़ते थे, क्यूंकि पढ़ना है| बारहवीं तक तो सोंचते भी नहीं

10

वैलेंटाइन्स डे

11 फरवरी 2024
1
1
1

 आज कल दुनिया भर में वैलेंटाइन्स वीक मनाया जा रहा है| आज की पीढ़ी को शायद न पता हो कि हिंदुस्तान में  वैलेंटाइन्स डे मनाने की शुरुआत नब्बे के दशक में हुई| जब फिल्मों के माध्यम से इसके बारे में लोगों को

11

संवेदना

21 फरवरी 2024
0
0
0

 ‘बंगाल’ नाम सुनकर ही सबसे पहले ज़ेहन में आता है माँ काली का विराट रूप और ज़ायकेदार व्यंजन, सिन्दूर-खेला में एक दूसरे को सिन्दूर लगाती महिलायें और बुद्धिजीवियों की एक महान परंपरा|  ‘बंगाल’ जो मध्य काल

12

विवादित धर्मस्थल पर ख़ुदा की इबादत भी करें और ईश्वर की प्रार्थना भी

28 फरवरी 2024
0
0
0

  अभी हाल में ही ज्ञानवापी मामले में न्यायालय ने व्यास तहखाने में पूजा करने की अनुमति दे दी| जिसके बाद से तहखाने में पूजा अनवरत् की जा रही है|हिन्दू पक्ष इसे अपनी जीत और मुस्लिम पक्ष इसे अपनी हार समझ

13

ऋतु-चक्र पर शोध की आवश्यकता

6 मार्च 2024
0
0
0

अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश समेत भारत के कई क्षेत्रों में हुई बेमौसम बरसात, आंधी-तूफ़ान और ओलावृष्टि ने किसानों की फसलें चौपट कर दीं| कई क्षेत्रों से ऐसी तस्वीरें आयीं जहाँ गेहूं की खड़ी फसल इस मौसमी

14

खेल से समझौता न करें

11 मार्च 2024
1
1
1

 ख्यातिप्राप्त पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया का पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई न कर पाना दुखद है| किन्तु जिस प्रकार वो अपने प्रतिद्वंदी से पराजित हुए वो शर्मनाक है| खेल में हार-जीत लगी रहत

15

वोट से नेता नहीं देश बनता है (नुक्कड़-नाटक)

4 अप्रैल 2024
2
1
1

 भारत का एक सुदूर गाँव| खेत के किनारे चार ग्रामीण भरी दुपहरी में एक विशाल नीम के वृक्ष की छाया में बैठे आपस में बात कर रहे| तभी गाँव के विद्यालय के मास्टर अपनी साइकिल से वहां पहुँचते हैं और साइकिल किन

16

हीरामंडी कलेक्शन

5 मई 2024
1
0
0

 हाल ही में एक फिल्म रिलीज़ हुई है “हीरामंडी”| हालाँकि मैंने वो फिल्म अब तक देखी नहीं है, लेकिन जैसा कि प्रचारित है कि ये फिल्म वेश्याओं पर आधारित है| इस विषयवस्तु पर फिल्म बनाने पर किसी को कोई आपत्त

17

पलटवार

5 मई 2024
1
0
0

 आज रविवार की इत्मीनान वाली सुबह में घर की बालकनी में हल्की ठंडक के बीच गरम चाय की चुस्कियां लेते हुए अखबार पढ़ रहे थे| अन्दर के किसी चौथे पांचवे प्रष्ठ पर छपी एक छोटी सी ख़बर को पढ़ कर पहले आगे बढ़ गए|

18

संग्राम

10 मई 2024
0
0
0

 आज की तारीख़ 10 मई 1857 को मेरठ से भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आरम्भ हुआ| हालाँकि बहुत से इतिहासकार इसे भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम नहीं मानते| कुछ इसे सिपाही विद्रोह मानते हैं, कुछ रा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए