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बेहसी दरिंदा

6 सितम्बर 2022

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अरी ; ओ . . .  ' करुणा ' . . . . . . . . कहाँ जा रही हैं ? ? ? इतनी सुबह - सुबह अंधेरे में . . . . .

ब्रिंदा , पीछे से करुणा को ; जोर से आवाज लगाते हुए . . जब करुणा ! ! सुबह अंधेरे में ही , घर से दूर कही जा रही थी . . . . . I 

अरे ! ! आती हूँ . . . माई . . . . . ! ! तू चिंता मत कर ; तुझे छोड़कर कहीं नहीं जा रही , अभी में . . . .

करुणा , ब्रिंदा से दूर से जाते हुए कहती हैं . . . . I l l l

और ब्रिंदा के सामने ! ! देखते ही देखते करुणा ; बहुत गहरी खाई में अंदर धसती चली जाती हैं . . . . I l

और ब्रिंदा , " करुणा " . . . . . . . . जोर से चिल्लाते हुए नींद से जाग जाती हैं . . . . ॥ ब्रिंदा . . ये सपना देखकर बहुत डर जाती है . . . ॥

मेरी बच्ची " करूणा " . . . . हांफते हुए , ब्रिंदा कहती है . . . उसके चेहरे पर पसीना ही पसीना था . . . ॥ ब्रिंदा ; बहुत ज्यादा डर जाती हैं . . . तभी वो घबराकर अपने पास में देखती हैं . . . उसकी बच्ची करुणा ! ! उसके पास ही सो रही थी . . . . ॥ लेकिन . . .  ये करुणा ! ! बहुत छोटी थी . . . बस 5 साल की . . .  जबकि ; ब्रिंदा ने जो सपने में देखा था . . उसमें करुणा 25 साल की लकड़ी थी . . . . I l l l 

ब्रिंदा , को कुछ समझ नहीं आ रहा था . . . ॥ ॥ कि ये ;  बस एक सपना था ! ! ! या आने वाले कल की हकीकत . . . . . . . आखिर मुझे इस तरह का सपना आया ही क्यूं . . . ? ? ? कहीं मेरी बच्ची करुणा ; किसी खतरे में तो नही हैं . . . ॥ ॥ शुभ - शुभ सोच ब्रिंदा . . . गलत क्यूं सोच रही हैं . . ? ऐसा कुछ भी नहीं होगा . . . ॥

हमरी माई और बाबा हैं ना . . . . 

सपने के बारे में सोचते हुए ; फिर इतना कहकर ' ब्रिंदा ' सो जाती है . . . . . I l

अगले दिन सुबह - सुबह " करुणा " _ _ _ _ _ _ _ 

माई ! ! कहां जा रही हो . . . मुझे छोड़कर मत जा ! माई . . . . . एक बार फिर से ; मुझे छोड़कर मत जा . . . . . I l

" करुणा " भागते हुए आकर ; ब्रिंदा के सीने से लग जाती हैं और कहती है . . . जब ब्रिंदा अपने खेत पर ! !  काम करने के लिए जा रही होती हैं . . . . . I

में तुझे छोड़कर ! कहां जा रही हूँ मेरी बच्ची . . . ? ? ? यहीं तो हूं ! ! ! तेरे ही पास . . . . ब्रिंदा , , करुणा से कहती हैं . . . ॥ ॥

तू झूठ बोलती है ! ! मेरे से . . . . पहले भी तूने यहीं कहा था ना . . . पर चली गई थी ना , तू  मुझे छोड़कर . . . . रोता हुआ , हमेशा के लिए अकेला . . . . . 

करुणा , जोर - जोर से रोते हुए और बहुत दुः खी होकर ; ब्रिंदा से कहती है . . . . ॥ ॥

ब्रिंदा , कुछ भी नही समझ पा रही थी ... I l कि आखिर , करुणा रोते हुए ! ! ये क्यूं कह रही थी उससे ? ? ? . . . कि मैं उसे पहले भी ; हमेशा के लिए ! ! अकेला छोड़कर चली गई थी . . . . ॥ ॥ 

जबकि रोते हुए , वो " करुणा " नहीं , " मानवी " , " ब्रिंदा " से कह रही थी . . . . ॥ ॥

क्यूंकि " ब्रिंदा और मानवी " में  बहुत ही गहरा रिश्ता था . . . . ॥ ॥

कुछ साल पहले की ही बात है . . . . . ॥ ॥

" राजस्थान " के इसी " दोसा " जिले के पास " पनवेर " नाम का एक गांव था . . . . ॥ ॥ जो बहुत छोटा नहीं था . . . . ॥ ॥ और शहर भी ; उस गाँव से पास ही था . . . ॥  इसलिए ! गांव में जो भी फसल हुआ करती थी . . . ॥ ॥ शहर मे बेचने के लिए , किसान ले जाया करते थे . . . ॥

वहीं " मानवी " का गांव में , एक कच्चा ; छोटा सा घर था . . . ॥ ॥ जिसमें मानवी के माता - पिता और मानवी और उसकी एक छोटी बहन और भाई रहते थे . . . ॥ ॥

मानवी के पिता बहुत गरीब थे . . . ॥ ॥ उनके पास थोड़ी सी जमीन थी . . . ॥ ॥ जिसमे वह सब्जियां उगाया करते थे . . . ॥ ॥ फिर उन्हें मंडी में बेचकर ! अपने परिवार का जीवन - यापन करते थे . . . . ॥ ॥ गांव की मंडी में सब्जियां : ! मानवी की माँ बेचने ले जाया करती थी . . . ॥

इसके अलावा ; मानवी के पिता , गांव के जमींदर और गांव के ही अन्य ; अमीर लोगो की जमीनों में ! ! दिहाड़ी मजदूरी किया करते थे . . . ॥ ॥

में जमींदार के खेत पर जा रहा हूँ . . . I ये सब्जियां रखी हैं  . . . इन्हें मण्डी ले जाने में देर नही करना , राधा ( मानवी की माँ का नाम ) ! ! मानवी माँ को कह देना . . . . जी ! बाबा ! ! . . . . . . 

मानवी के पिता (  सुरेश ) इतना कहकर ; जमींदार के यहां चले जाते हैं . . ॥ 

मानवी की माँ ; हर रोज की तरह ही ! ! मण्डी में सब्जियां बेचने गई थी . . . ॥ ॥ और साथ में आज ; मानवी भी गई थी ... ॥ ॥  माँ के साथ कभी - कभी ! मानवी भी जाया करती थी . . . ॥ ॥ क्यूंकि . . .  मानवी घर की सबसे बडी बेटी थी . . . ॥ ॥ और कभी माँ के बीमार हो जाने पर ! ! मानवी ही अकेली , मण्डी जाया करती थी . . . ॥ ॥ 

मानवी के माता - पिता गरीब थे . . . ॥ लेकिन बहुत ही इज्ज़तदार और ईमानदार थे . . . ॥

उनकी बेटी मानवी ! ! दिखने में बहुत सांवली , सी थी . . " I I और पैसे न होने की वजह से , , कपड़े भी पुराने ही पहना करती थी . . . ॥ ॥ लेकिन  . . . फिर भी लोग उसके मीठा बोलने से ! ! उसे बहुत पसंद करते थे . . . ॥ ॥ उसकी सादगी ही उसका गहना थी . . . ॥ ॥ मानवी इस समय 20 साल की थी . . . ॥ ॥

कि तभी एक दिन मानवी की माँ . . . . . . . . 

मानवी , , आज में सब्जियां लेकर मण्डी नही जाऊँगी . . . मुझे बाबा ने जमींदार के यहाँ बुलाया हैं . . . . तुम ही चली जाना आज . . . . राधा , मानवी से कहती है . . . . ॥ ॥

ठीक हैं ! माँ , . . . लेकिन . . .  बाबा ने आपको ; जमींदार के यहां क्यूं बुलाया हैं . . . ? ? ? मानवी मां से कहती है . . . I l l

जमींदार की बेटी की शादी हैं ना . . . . एक महीने बाद . . . इसलिए घर का ही ; कुछ काम होगा . . . ॥ ॥ तेरे बाबा पर बहुत विश्वास करते हैं ! ! जमींदार . . . . ॥ ॥ ईश्वर करें ! ! अब तो मेरी ' मानवी ' की भी ; . . आकाश से शादी हो जाए . . . . तेरे भी हाथ पीले कर हमें भी खुशी मिले . . . ॥ ॥ राधा , मानवी से कहती हैं . . . ॥ ॥

में कहीं नही जाने वाली ! ! आप सब को छोड़कर . . . मानवी ! थोड़ा नाराज होकर कहती हैं . . . . ॥ ॥

राधा - - आकाश ! ! तुझसे बहुत प्यार करता हैं . . ॥ नहीं जाना माँ मुझे . . . अच्छा बाबा ! ! लेकिन . . . तु गुस्सा क्यूं होती हैं ! री ? ? ? वो तो तेरे बाबा देख लेगे . . . . ॥ ॥ 

लेकिन . . . माँ ! ! आप मुझसे एक वादा करों , कि चाहे कुछ भी हो जाए ; आप मुझे कभी अकेला छोड़कर , , मुझसे दूर नही जाओगी . . . . .  ॥ ॥ मानवी माँ का हाथ , अपने हाथ में पकड़कर कहती हैं ' . . . . ॥ ॥

ठीक हैं ! कभी नहीं जाऊंगी ! पगली . . . . . ॥ ॥ खुश ! ! ? ? ?  . . . चल अब जा मण्डी ; ; वरना देर हो जाएगी और वो साहुकार ; दस बातें सुनाएगा फिर . . . ॥ ॥ राधा ; मानवी के सिर पर हाथ रखकर कहती हैं . . I l

ठीक है माँ . . . जा रही हूँ . . . 

मानवी ; सब्जियां लेकर मण्डी पहुंचती हैं . . . ॥

तभी वहीं जमींदार का लड़का ! मानवी को गंदी नजर से देखने लगता हैं . . . ॥ ॥ ऐसा नहीं था ; कि ये पहली बार हो ! ! पहले भी जमींदार का लड़का ;मानवी को मण्डी में अकेला देखकर  ! इस तरह की हरकते किया करता था . . ॥ ॥ लेकिन . . . मानवी ने कभी भी उससे , कुछ नहीं कहा . . . और न ही अपने घर पर मां और बाबा को कुछ बताया था ' . . . ॥ ॥ क्यूंकि . . . . उसके बाबा मजदूरी करके घर चलाते थे . . . और वो गांव के जमींदार का लड़का था . . . ॥ ॥

एक दिन जब मानवी ; अकेली मण्डी से वापस आ रहीं थी . . . ॥ ॥ तभी रास्ते में , जमींदार के लड़के ने ; उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की . . . ॥ ॥ और उसने मानवी के हाथ को ! ! तेजी से मरोड़कर ; उसे जख्मी कर दिया । । ।

उस समय मानवी ने ! ! अपनी जान बचाने के लिए ; जमींदार के लड़के के सिर पर , , , पत्थर मारकर वहाँ से भाग आयी . . . ॥ ॥ ॥

घर आकर मानवी . . . . . . . .

माँ ! . . . . माँ ! . . . . मानवी अपनी माँ के गले लगकर ! !  जोर - जोर से रोने लगती है . . . . ॥

क्या हुआ ! मानवी ? ? . . . . क्या हुआ ! बेटा ? ? ? 

राधा , मानवी के आंसुओ को पोंछते हुए . . . पूछती हैं . . . ॥ ॥ 

माँ ! वो ' . . . माँ ! वो जमींदार का लड़का ... ! आज जब मे अकेले घर आ रही थी . . . ॥ तब रास्ते मे उसने मेरे साथ ; ;  जवरदस्ती करने की कोशिश की और मेरा हाथ . . . . . माँ ! मैने खुद को बचाने के लिए , उसके सिर पर पत्थर मार दिया और भाग आयी . . . . मैं क्या करती माँ ? ? . . . . ये कहते - कहते मानवी जोर - जोर से रोते हुए ; अपनी माँ के सीने से चिपक जाती हैं . . I l 

राधा ! ! ये सारी बात सुनकर चौंक जाती हैं . . . . ॥ रो मत मेरी बच्ची ! . . . रो मत ! . . . आज के बाद तु , मण्डी नही जाएगी . . . " ॥ राधा ! मानवी को कहती है  . . ' ॥

अब आगे क्या होगा ? ? ? ये राधा और मानवी दोनों ही नहीं जानते थे . . . . ॥ 

ये बात ! जब मानवी के बाबा को ; पता चलेगी . . . तो वो क्या करेगे . . . . ? ? ?

और वो जमींदार . . . . क्या वो अपने बेटे की गलती मानेगा ? ? ? . . . 

क्या वो जमींदार ! ! मानवी को सही मानकर ; उसके परिवार को ऐसे ही छोड देगा ? ? ?

या फिर मानवी के परिवार को देना होगा ! ! एक बहुत बड़ा जुर्माना . . . ? ? ?

जानने के लिए आगे पढ़ते रहे

 

 

 

 

 

 

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