" करुणा " का जन्म होते ही , हॉस्पिटल के सारे डॉक्टर्स और नर्स मारे जाते हैं . . . I l " करुणा " के पिता " अनूप " और माँ " वैशाली " के साथ - साथ , करुणा की दादी , करूणा का 4 साल का भाई " समर्थ " भी मारा जाता हैं ॥ ॥
क्यूंकि . . . . . ' करुणा ' के जन्म के समय , डॉक्टर , , नर्स और बाकी सभी ने ! ! ! जो चेहरा देखा ; वो किसी मासूम बच्चे का नहीं ; बल्कि एक अध जले हुए ! ! जहरीले नाग का " फन " था . . . ॥ ॥
जब " करूणा " अपनी माँ के गर्भ से बाहर आयी ! ! उस समय का दृश्य देखकर , डॉक्टर के हाथ कांप रहे थे और आँखे फटी की फटी रह गई थी . . . I डॉक्टर ने देखा ! ! कि बच्चे की जगह गर्भ से , एक नाग का आधा जला हुआ फन और जिसका गर्दन से नीचे का शरीर , इंसान का था . . . ॥ बाहर आया था ... ॥
उसके दोनों ! ! इंसानी हाथ किसी खंजर से कम नही थे . . . . I l उसके नीचे के इंसानी शरीर पर , चाकुओ के निशान थे ॥ जो पूरी तरह से किसी शैतानी आत्मा के ही थे . . . ॥ ॥ और वो आत्मा थी " मानवी " की . . . . . I l वो " मानवी " जो एक - एक करके ; न जाने कितनी अपने ही जैसी ; आत्माओं को अपने अंदर समाहित करती चली गई थी ... ॥ ॥ जिन्हें किसी ने बहुत बेरहमी से , बिना किसी वजह से " मौत के घाट " उतार दिया था ॥ ॥
डॉक्टर के हाथ से छोड़ने के बाद भी , वह शैतानी नाग ! ! हवा मे उड़ान भरते हुए ! ! ! अपनी जहरीली फूँकार छोड़ रहा था . . ॥ ॥ " वह नाग इतना जहरीला था ... I l कि उसकी एक फूंकार ही ; आस - पास के इलाके में मौजूद ! ! ! लोगो को मारने के लिए काफी थी . . " ॥ ॥ ॥ ॥
बाहर आते ही ! ! वह नाग अपनी जहरीली फूंकार से और अपने दोनो शैतानी हाथो से , . . . लोगो को बेरहमी से मारते हुए जा रहा था . . . ॥ ॥ जैसे - उसकी आत्मा न जाने कब से , बाहर आने का इंतजार कर रही थी . . ॥ उस दिन अमावस्या की काली रात थी . . . ॥ ॥ और इसलिए सभी को ! ! ! करुणा के शरीर की जगह ; वह शैतानी रूप ही दिखाई दे रहा था . . . I l जो कि सिर्फ ; अमावस्या की काली रात को ही दिखाई देता है . . . I l क्यूंकि . . . " अमावस्या की रात हर शैतान की शक्तियां ; अपनी चरम सीमा पर होती है " . . . ॥ ॥ और अब तो उसे एक शरीर भी मिल गया था . . . ॥ " करुणा " का शरीर ! ! जो शैतानी आत्मा " मानवी " को अपने प्यार से मिलवाएगा . . . ॥ ॥
इस तरह अमावस्या के अगले दिन ! ! ! सुबह वह शैतानी आत्मा . . . . . , " करुणा " के शरीर को लेकर " ब्रिंदा और रंजन " के खेत पर पहुंचती है " . . . ॥ ॥
ब्रिंदा और रंजन का घर . . . . . . . . . .
"अरे वाह ! ! ब्रिंदा सुना है लक्ष्मी आयी है तेरे यहाँ . . . हमे भी तो उसके दर्शन करा दे . . . सुना है बहुत प्यारी बच्ची हैं . . . ॥ ॥ पूरे गांव में उसी की चर्चा होती रहती है आजकल ॥" गांव की एक महिला , कुएँ पर पानी भरने जाते समय ब्रिंदा से कहती हैं . . . ॥ ॥
ब्रिंदा हंसते हुए . . . "॥ ॥ हां ! हा ! तो आ जाना ना मेरे घर , मेरी बेटी से क्या पता तेरा भी भाग्य उदय हो जाए . . . ॥ ॥"
दोनों हंसते हुए पानी भरने चली जाती हैं . . . . . . . . . . I
ब्रिंद्रा घर आकर देखती है . . कि उनका बेटा " अबान ", "करुणा " के साथ मजे से खेल रहा था . . . . ॥ तभी अबान भागते - भागते गिरने ही वाला था . . . . I l कि करुणा उसे गिरने से बचा लेती हैं ' . . . I l यह देखकर ब्रिंदा कुछ सोच में पड जाती हैं . . . कि करुणा ने आखिर ये किया कैसे . . ? ? ? वो अभी सिर्फ़ 8 महीने की बच्ची हैं . . . ॥ ॥ करुणा अभी बस घुटने ही चल पाती है . . . ॥ ॥
तभी रंजन वहाँ आता हैं . . . ॥ ॥ करुणा को प्यार से खिलाते हुए . . . . क्या हुआ ब्रिंदा ? ? ? किस सोच में डूबी हुई है . . . ॥ ॥
ब्रिंदा उसे बताती हैं . . . . रंजन - - तू भी ब्रिंदा , साक्षात " माई है ये बच्ची " माई का स्वरूप हैं ॥ साक्षात् देवी मईया का I l . . . और क्या हुआ अगर तूने ऐसा कुछ देखा भी तो . . . . चल उठ अब भूख लगी हैं . . . भूखा ही मारेगी क्या आज . . . . ? ? ? दोनों हंसने लगते हैं . . . ॥ ॥ जानकी ! ! ! पानी ले आ पीने के लिए . . . बडी प्यास लगी हैं . . . ॥ ॥ लाई भईया ! ! ! जानकी आवाज लगाती हैं : . . ॥ ॥ ॥
अगले कुछ ही दिनों मै , करूणा चलने लगती हैं . . . ॥ ॥ इतनी जल्दी बच्चे का चलना . . . . जो कि बिल्कुल ही असाधारण सा लग रहा था . . . ॥ ॥ ' दोसा ' और आस - पास के गॉव के बहुत से लोग ; जो भी करुणा के बारे में सुनते थे . . . . ॥ ॥ " करूणा " को देखने आते रहते हैं . . . ॥ ॥
लेकिन . . . ब्रिंदा को यह बिल्कुल भी अच्छा नही लगता . . . . . . . ॥ ॥
"जब देखो तब ! ! ! सब मेरी फूल सी बच्ची से मिलने आते रहते हैं . . . . भरोसा न हैं मुझे इन लोगा का . . . कहीं किसी की बुरी नजर लग गई तो . . . या किसी का बुरा साया ! ! तो . . . थू . . थू . . थू . . ." ब्रिंदा " करूणा " की नजर उतारते हुए कहती हैं . . . ॥ ॥
तू कितना सोचती है रे ! ! ब्रिंदा . . . . ॥ ॥ अरे हमारी बच्ची तो ; है ही इतनी प्यारी . . . . और तू उतार तो रही है , इसकी नजर फिर बता कैसे लगेगी . . . ? ? ? और प्रेतराज सरकार के होते हुए ! ! भला कोई बुरा साया भटक भी सकता है क्या आस - पास . . . ? ? ?
जानकी कुछ समझा अपनी भाभी को ' . . . रंजन ब्रिंदा को समझाते हुए . . . जानकी से कहता हैं . . . . ॥ ॥
"हां ! भाभी ... भैया सही कह रहें हैं . . . . और फिर जहाँ प्यार होता है . . . वहाँ साये नहीं आते . . . फरिश्ते आते हैं . . . ॥ ॥ और फिर आप तो ; करुणा से सबसे ज्यादा और दिल से सच्चा प्यार करती हो . . . . . ॥ ॥ भला कोई टिक पाएगा आपके प्यार के आगे . . . . ॥ ॥" जानकी हंसते हुए ब्रिंदा से कहती हैं . . . ॥ ॥
ब्रिंदा , रंजन और जानकी की बात सुनकर ! ! ! बहुत खुश हो जाती हैं . . . ॥ ॥
" करूणा " दिखने में बेहद ही ; मासूम लगती है , प्यारी सी ... उसकी प्यार भरी मुस्कान , बस कोई देखता ही रहे . . . ॥ ॥ उसकी भूरी आँखो में , जैसे कोई आकर्षण था . . . ॥ लोग खिंचे ही चले आते थे . . . I l दूध जैसी एक दम सफेद रखी थी करुणा . . . . ॥ ॥
[ धीरे - धीरे करुणा की ग्रोथ भी और बच्चो की तरह ही नार्मल हो रही थी । ]
" करूणा " अब 2 साल की हो गई थी . . . ॥ ॥ जिस दिन वह ब्रिंदा और रंजन को , , खेत मे मिली थी . . . तब से अभी तक . . . ॥ करूणा के आने से ब्रिंदा और रंजन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी हो गई थी . . . ॥ ॥ और वह अपनी बेटी , करुणा के जन्मदिन पर ; वहां पास ही के मंदिर में प्रसाद चढ़ाने गए थे . . . . ॥ ॥
ब्रिंदा और रंजन प्रसाद चढ़ाकर वापस आ रहे थे . . . तभी रास्ते में प्रेतराज सरकार का मंदिर ब्रिंदा को दिखा ' , रंजन एक मिनिट रुको ना . . . ब्रिंदा कहती हैं . . . क्यूं क्या हुआ . ? ? ? रंजन पूछता है . . . ॥ ॥ कुछ नही बस ! ! अपने तीनो बच्चो के लिए , यही से प्रार्थना कर लूं . . . . अबान , जानकी और नन्हीं करुणा के लिए . . . ॥ ॥ ब्रिंदा , रंजन से कहती है . . . ॥
" ब्रिंदा " मन ही मन अबान और जानकी के लिए प्रार्थना करती हैं . . . और करुणा के लिए . . . हे बाबा ! मेरी बच्ची करूणा की रक्षा करना . . . उस पर कोई बुरा साया ना हो ' , उसकी कुछ चीजे मुझे ; कभी - कभी अजीब सी लगती हैं . . पर वो मेरी बच्ची है . . . ॥ ॥ आप , उसके ऊपर आने वाले हर संकट से ! ! ! उसकी रक्षा करना बाबा . . . ॥ ॥
ब्रिंदा , जैसे ही यहां प्रार्थना करती हैं . . . उधर घर पर करूणा के अंदर की ! ! ! मानवी की आत्मा बैचेन होने लगती हैं . . . ॥ ॥ करुणा रोये जा रही थी . . . ॥ ॥ कोई समझ नही पा रहा था . . ॥ कि करुणा को ; आखिर क्या हो रहा हैं . . . ? ? करुणा , सबको अपने से दूर हटा रही थी . . . ? ? लेकिन . . . ब्रिंदा जब घर आयी तो उसने ; भाग कर अपनी बच्ची , करुणा को अपने सीने से लगा लिया . . . ॥ ॥ उधर मानवी की आत्मा ; जो बैचेन हो रही थी . . . ॥॥ ब्रिंदा ! ! के गले लगकर शांत हो जाती हैं . . . ॥ ॥
"लेकिन . . . . क्यूं . . . ? ? ? "
"आखिर क्यूं ? ? . . . मानवी ; ब्रिंदा और रंजन के ही घर आयी ! ! करुणा को लेकर . . . . . ."
"क्यूं मानवी ! रंजन और ब्रिंदा के लिए इतनी शुभ थी . . . ॥ ॥"
"मानवी क्यूं . . . ? ? उनके घर को नुकसान नहीं पहुंचा रही थी . . . ॥ ॥"
क्या . . . . यहीं इसी शहर या फिर इसी घर में ही मिलेगा . . . ? ? ? ? मानवी को प्यार करने वाला कोई . . . . जिसके लिए वो तड़प रही थी . . . . . . . . I l
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