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कहर

6 सितम्बर 2022

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मानवी के बाबा ! घर मे अन्दर आते ही . . . . . . .

अरे ! ! क्या हुआ आज सबको ? ? ?  घर में इतनी शांति क्यूं है . . . ? ? ? राधा . . . . कहाँ गए बच्चे ? ? ? मानवी के बाबा हंसते हुए कहते हैं . . . . ॥ ॥

आप बैठो और हाथ मुंह धो लो . . . ॥ में खाना लगाती हूं . . . . राधा ; मानवी के बाबा से कहती है . . . ॥ ॥

हाँ ! वो सब तो ठीक हैं . . . . पर बच्चे नहीं दिख रहे है आज ! ! कहाँ है तीनो .. ? ? मानवी के बाबा ; राधा से एक बार फिर पूछते हुए . . . . 

मानवी के बाबा ;  राधा के चेहरे पर , परेशानी की लकीरें देख कर . . . . क्या हुआ राधा ? ? ? कुछ बताओंगी भी अब . . . . I l

राधा की आंखो से ! ! आंसु बहने लगते है . . . . I l राधा रोते हुए ; मानवी के बाबा को सब कुछ बताती हैं . . . ॥ ॥

जिसे सुन कर ; मानवी के बाबा के ! ! पैरों तले जमीन खिसक जाती हैं . . . ॥ ॥ और वो अपने दोनों हाथों को , , तेजी से अपने सिर पर मारते हुए ; नीचे जमीन पर बैठ जाते हैं . . . ॥ ॥

हे भगवान ! ! ये क्या हो गया राधा . . . ! ! ! मानवी के बाबा अपना माथा पीटते हुए कहते है . . . ॥ ॥

अरे ! अरे ! . . . . सम्हालिए अपने आप को . . . राधा मानवी के बाबा के हाथ पकड़ते हुए कहती हैं . . . ॥ ॥ 

तुम्हें पता है ना ! ! वो जमीदार कितना बड़ा आदमी हैं . . . ॥ ॥ हम छोटे लोग ; उसके आगे कहाँ लगते हैं ' . . ॥ ॥ वो अपने लड़के को मारने पर ; हमें छोडगा क्या . . . ? ? ? और वो कैसा आदमी है ? ? ? ये तो पूरा गांव जानता हैं . . . ॥ ॥ हम भले ही सही हो ! ! पर कोई भी उसके खिलाफ नही जाएगा . . . . ॥ ॥ ऊपर से कुछ दिन में ! ! उसकी बच्ची की शादी भी है . . . ॥ ॥ हे भगवान ! ! . . . . मानवी के बाबा रोते हुए राधा से कहते हैं . . ॥ ॥

में सब जानती हूं ! ! पर आप अपने आप को सम्हालिए . . . ॥ ॥  

तभी दूर खड़ी , मानवी और बाकी दोनों बच्चे ! ! अपनी माँ और बाबा की बातें सुन कर रो रहे थे . . . " ॥ ॥ ॥ 

 यहाँ आओ मेरे बच्चों ! ! . . . . मानवी के बाबा अपनी बांहे फैलाकर  ; अपने तीनो बच्चों को बुलाते हैं . . . ॥ ॥

बच्चे भागते हुए ! ! अपने माँ - बाबा के गले लगकर ;  तेज - तेज रोने लगते हैं . . . . ॥ ॥

नहीं बच्चों तुम क्यूं रो रहे हो . . . ? ? ? बाबा - माँ ; मेरी बजह से आप लोगो को कितनी परेशानी हो गयी है . . ॥ ॥

मानवी अपने आँसुओ को पोंछते हुए ! ! बाबा से कहती हैं . . . ॥ ॥

हमें जल्दी ही , कुछ करना होगा ! ! . . . वो ज़मींदार कल कभी भी आ सकता है . . . ॥ ॥ मानवी के बाबा ! क्यूं न हम तीनों बच्चो को ! दूसरे गांव में इसकी बुआ के यहां भेज दें ? ? ? अगर जमींदर मानवी के बारे में पूछेगा तो कह देंगे कि वो यहाँ है ही नही . . . . ॥

राधा सब को समझाती है . . . . ॥ ॥ ॥ हां यही ठीक रहेगा ! !  फिर बाद में कुछ सोचेंगे . . . ॥॥ बाबा भी यही कहते हैं . . . ॥

नहीं माँ ! . . . नही बाबा ! . . . हम आप दोनो को छोड़कर कही नहीं जाएंगे . . . . I l

समझने की कोशिश करो मानवी . . . तुम तो बडी हो ना . . . . अपने छोटे भाई - बहन की तो सोचो . . . . I l l और हम कहाँ जा रहे है . . . जैसे ही सब नॉर्मल हो जाएगा ॥ तुम तीनो को ले आएंगे . . . ॥ ॥ अब चलो यहाँ से . . . ॥ राधा और बाबा तीनों बच्चो को मनाते हुए ... ॥ ॥ 

बाबा ; तीनो बच्चो को लेकर अपनी बड़ी बहन के यहाँ ! ! जो पास ही के गांव में रहती है . . . ॥ ॥ छोड़ आते है . . . I l

अगले दिन सुबह . . . . जमींदार के आदमी . . . मानवी के बाबा के घर आते हैं . . . ॥ ॥ ।

तुम्हे और तुम्हारी बेटी को जमींदार जी ने अभी बुलाया है . . . चलो हमारे साथ . . . जमींदार के आदमी गुस्से से ; मानवी के बाबा को ले जाते हैं . . ॥ उधर राधा अपने बच्चो और उनके बाबा के लिए परेशान हो रही थी . . .  ॥ ॥ न जाने जमींदार उनके साथ ; कैसा बर्ताव कर रहा होगा . . . i i 

उधर जमींदार के यहाँ सुरेश . . . .

तेरी बेटी की इतनी हिम्मत ! ! कि उसने मेरे बेटे को पत्थर से मारा . . . क्या हुआ ! ! अगर जरा सा हाथ लगा भी दिया था उसे . . ? ? वैसे भी ! उस चंदन के बेटे के साथ तो . . बहुत अकेले घूमती - फिरती है . . . ॥ तब कुछ नहीं . . . . बड़े आए इज्जत वाले . . . . अरे ! तेरी उस काली कलूटी बेटी को कोई देखता तक नही . . . शुक्र मना ! ! मेरे बेटे ने उसे हाथ ही लगा दिया . . . ॥ ॥ उसके तो भाग्य खुल गए थे . . . ॥ ॥ 

जमींदार बहुत गुस्से में और सुरेश की बेज्जती करते हुए सबके सामने उससे कहता है . . . ॥

नहीं सरकार ! ! इतना बडा लांझन न लगाओ हम पर ! ! ... मेरी बेटी ऐसी नहीं हैं . . . ॥ ॥ चंदन के लड़के के साथ तो उसकी शादी होने वाली है . . . ॥ ॥ दोनो एक दूसरे से प्यार करते हैं . . . ॥ ॥ सुरेश रोते हुए जमींदार से हाथ जोड़कर कहता है . . . . ॥ ॥

मेरी बात ! ! अब कान खोलकर सुन , , आज शाम तक ; तू और तेरी बेटी ! ! यहाँ होने चाहिए . . . मेरे सामने । । । ।और जब तक मेरा बेटा ;  उसके साथ जो करना चाहता हैं ! ! कर नही लेता ; तब तक तेरी बेटी को नही छोडूंगा अब  . . . . I और अगर तुम दोनो नही आए ! ! तो जो हाल करूंगा तेरे परिवार का ; सोच लेना , तेरी सात पीढ़ियां कांप जाएगी !  सोचकर ही ॥ ॥ और भूलकर भी , किसी से प्यार करने की हिम्मत नही करेंगी . . . ॥ ॥ 

जमींदार बहुत गुस्से मे ; अपने ईगो और झूठी शान के चलते हुए कहता हैं . l l l ले जाओ . . ओ . . .  इसे यहाँ से ! ! और पता करो ; इसने अपनी बेटी को कहाँ छुपाया है . . . ? ?

नहीं सरकार रहम करो मुझ पर . . . मुझे और मेरी बच्ची को छोड़ दो .... ॥ ईश्वर से तो डरो . . . सुरेश कहते हुए जब जमींदर के आदमी , उसे धकेलते हुए ले जा रहे थे . . ॥ ॥

गांव का कोई भी व्यक्ति ; जमींदार के खिलाफ जाकर सुरेश की तरफ नहीं बोल सकता . . . क्यूंकि : जमीदार कितना बेरहम और खूंखार आदमी है . . . सब जानते है . . . ॥ ॥ और अपने मतलब के लिए वो कुछ भी कर सकता हैं . . . ॥

सुरेश घर पहुंचकर ; राधा को सारी बात बताता हैं . . . दोनो ही बहुत डर जाते है . . . ॥ और रोते हुए . . . अब क्या होगा ? ? हे ईश्वर मेरी बच्ची को बचा ले . . . ॥

तभी चंदन का बेटा " आकाश " मानवी की बुआ के घर जाता है . . . . ॥ वह जानता हैं कि , मानवी और उसके बहन - भाई वही हैं . . ॥ ॥ आकाश ने ; जमीदार के बेटे को , मानवी के साथ बतमीजी करते हुए देख लिया था ॥ ॥ और इससे पहले ! कि आकाश ! ! मानवी को बचाने जाता .... मानवी उसे पत्थर मार कर वहां से भाग गयी थी . . . ॥

आकाश ! मानवी को जमींदार के यहाँ हुई , सारी बात बताता हैं . . . ॥ ॥ और मानवी ये सुनकर - - मे अपने माँ - बाबा को ऐसे अकेले नहीं छोड़ सकती . . . ॥ ॥ 

मानवी तुम ; अभी यहाँ से कहीं और चली जाओं ! ! जमींदार के आदमी तुम्हे ढूंढ लेंगे नहीं तो ॥ ॥ आकाश ; मानवी को समझाता है . . . ॥ पर मानवी नहीं सुनती . . . ॥ मानवी अपने माँ - बाबा के बारें में तो सोचो ; अगर तुम जमीदार के हाथ लग गई तो क्या होगा ? ? और हमारा प्यार . . . . . आकाश कहते - कहते रुक जाता हैं . . . ॥

में भी यहीं चाहता हूँ . . . मानवी । । . . . और जमींदार और उसका बेटा हमारे प्यार करने से चिड़ते है . . ॥ कितनी बार उसने मुझे तुम्हारे साथ देखने पर मारा भी हैं . . . ॥ ॥ लेकिन . . . मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दे सकता . . ॥  मान जाओ . . . ॥ माँ - बाबा को में बचा लूंगा . . . ॥  अगर तुम नही मिलोगी तो वो उन्हें छोड़ देगा . . . " ॥ चली जाओ अभी . . . . . आकाश रोते हुए कहता है . . ॥

ये सुनकर मानवी वहाँ से चली जाती है . . . ॥ ॥ 

लेकिन . . . अब आगे क्या होने वाला है, . . ? ? ? 

क्या मानवी के न मिलने पर ; जमींदार उसके माँ - बाबा को छोड देगा . . . ? ? ?

या फिर होगी कोई ऐसी घटना जो मानवी को शैतान बनने के मजबूर कर देगी ? ? ? 

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