हमें छोड दो ! . . . जाने दो हमें ! . . . ईश्वर से तो खौफ खाओ राक्षसो . . . नरक में भी जगह नहीं मिलेगी बरना तुम्हें . . . . राधा जोर - जोर से चिल्लाते हुए कहती हैं . . ' । । जब जमींदार के आदमी ; राधा और सुरेश को गांव के बाहर से घसीटते हुए ला रहे थे . . . ॥
राधा और सुरेश ! ! उस दिन दोपहर को ही , गांव छोड़कर चले गए थे . . . ॥ ॥ लेकिन . . . न जाने कहाँ से जमींदार को पता चल गया और उसके आदमी दोनो को वहाँ से घसीटकर जमींदार के पास ले आए . . . I
मुझसे भाग कर जा रहे थे . . . याद नहीं क्या कहा था मैंने ? ? अब तू भी मरेगा और तेरी बेटी भी . . . ॥ ॥ जमींदार सुरेश से गुस्से मै कहता है . . I
ईश्वर से तो डर कसाई . . . . और तू कौन होता हैं ? ? ?हमारी जिंदगी का फैसला करने वाला . . . न जाने कितने मासूम लोगो को तूने मार डाला . . . . मत भूल ; ईश्वर तुझे नही छोड़ेगा . . . . राक्षस ! ! राधा , जमींदार को ललकारते हुए कहती हैं . . . ॥ ॥
अभी तो अपनी फिक्र कर . . . .
मुंह बंद करो इसका और बांध दो दोनों के हाथ पैर . . . ॥ ॥
जमींदार ! सुरेश से - - बता कहाँ है ? ? तेरी बेटी . . . कहाँ छुपा दिया हैं तूने उसे . . . तुझे क्या लगा हम उसे ढूंढ नही पाएंगे . . . ॥
हमें छोड़ दो ! ! हम हमेशा के लिए गांव छोड़कर चले जाएंगे . . . सुरेश जमींदर से कहता हैं ' . ॥ ॥
हाँ ! छोड देंगे ! ! लेकिन जिंदा नही . . . . ॥ जमींदार जोर से हंसते हुए . . . . . .॥
उधर मानवी ! अपनी बुआ के घर से बहुत दूर , एक खण्डर में जाकर छुप जाती हैं . . ॥ वो थककर वहाँ बैठती है ; उसे अपने माँ - बाबा के साथ बिताये , बचपन की याद आने लगती है . . . ॥ ॥ और फिर वो अपनी आँखे बंद कर लेती हैं . . " . ॥
उसके सामने " आकाश " का चेहरा आ जाता हैं . . ॥ ॥ मानवी और आकाश ; एक - दूसरे को बचपन से जानते हैं . . . वो दोनों एक - दूसरे से बहुत प्यार करते हैं . . . ॥ ॥ एक - दूसरे के साथ दोनों बहुत खुश भी थे . . " ॥
मानवी और आकाश की सगाई हो गई थी . . . ॥ ॥ उसके बाद से दोनों छुप - छुप कर मिला करते थे . . I l l और फिर आकाश के बारे मे सोचते - सोचते मानवी के आँखो के आगे उस दिन का सीन आने लगता हैं . . . I
जब आकाश ने अकेले में मानवी का हाथ पकड़ा था . . . I
अरे ! तुम तो करंट मार रही हो . . . दिखने में तो तुम्हारे हाथ बहुत नाजुक लगते हैं . . . पर आज कुछ अजीब से क्यूं लग रहे हैं . . . ॥ ॥ आकाश मानवी से कहता हैं . . . ॥ ॥
क्या बातें कर रहे हों तुम . . . कुछ करो ना ! . . . नशीली आँखो से मानवी ; आकाश को अपनी ओर खींचते हुए कहती है . . . ॥ जैसे उसे बहुत तड़प महसूस हो रही हों , पर आज से पहले !! मानवी ने कभी इस तरह नहीं कहा था । ।
ये तुम्हारी ! आवाज तो नहीं लग रही . . . I l ये तुम ही हो ना मानवी . . . . ? ? और तुम तो मुझे हमेशा खुद से दूर भगाया करती थी . . ॥ ॥ कि शादी तो हो जाने दो और आज तुम ही मुझे कुछ करने के लिए कह रही हो . . . ॥ ॥ अभी तक कहाँ था तुम्हारा ये रूप . . . ? ? आकाश हंसकर मानवी से पूछता है । । ।
अभी तो आयी हूँ में इस शरीर में तेरे लिए . . . बहुत सेक्सी आवाज में ये कहकर ! ! मानवी आकाश को चूमने लगती हैं . . . ॥ ॥ उसके गालों को , उसके माथे को फिर धीरे - धीरे उसके होंठों को चूमने के लिए होती हैं तभी आकाश अपनी आँखे खोलता है . . . ॥ ॥ वह उस चेहरे को देखकर डर जाता हैं ॥ ॥ खून से सना हुआ एक महिला का चेहरा , जिसका पूरा शरीर जख्मी था . . को देखकर आकाश जोर से चिल्लाता है . . बचाओ ! बचाओ ! वह वहाँ से भागने लगता हैं . . तभी क्या हुआ आकाश . ? ? . तुम चीख क्यूं रहे हों ? ? कोई हमें देख लेगा . . . ॥
तुम चुड़़ैल हो . . . दूर हो जाओ मुझसे . . . क्या कह रहे हो आकाश में तुम्हारी मानवी हूँ . . . मानवी आकाश का हाथ पकड़ती हैं . . आकाश कांपते हुए ; अपनी आँखे खोलकर देखता है . . . वहां सच में मानवी ही थी ॥ ॥ और उस वक्त उसके हाथ बहुत कोमल लग रहें थे . . I l आकाश समझ नही पा रहा था ; कि वह कोई सपना देख रहा था क्या ? ? ?
तभी खण्डर में बैठी मानवी अपनी आँखे खोलती है . . . उस वक्त उसकी आँखे नीले रंग की हो जाती है . . और वह अपना शरीर बहुत कसा हुआ सा महसूस करती हैं . . . ॥ ॥ जैसे - किसी ने उसे जकड़ लिया हो . . ॥ ॥
एक दिन की बात हैं ; मानवी आकाश से मिलकर , , घर वापस आ रही थी . . . ॥ ॥ तभी बारिश होने लगती हैं और वह पास ही पीपल के पेड के नीचे खड़ी हो जाती हैं . . . ॥ ॥ कुछ दिन पहले ही , जमींदार का एक आदमी ! एक वैश्या को बुरी तरह मारकर ; खून से लतपथ हालत मे ! वहाँ छोड गया था .. " ॥ उसने तड़प - तड़प कर वहीं दम तोड़ दिया था ॥ ॥ तब से उसकी आत्मा वहां थी . ॥ ॥ वो वैश्या जमींदार के कहने पर ! गांव के बाहर बने उसके दूसरे घर पर , उसकी हवस को मिटाने जाया करती थी . . ॥ ॥
एक दिन जमींदार नशे में धुत होकर ; उसके शरीर को नोंच रहा था . . ॥ नशे में वह इतना धुत था कि वैश्या को मार ही देता ! ! इसलिए , वह अपनी जान बचाकर वहाँ ले भाग आयी । । । लेकिन . . अगले दिन उसके आदमीयों ने उसकी बद से बदतर हालत कर अधमरा कर वहां मरने के लिए छोड दिया था . . ॥
तभी उस दिन वारिश में मानवी का आना हुआ . . . और वारिश बंद होने पर वह पेड़ के नीचे खड़ी मानवी के साथ ही चल दी . . . ॥ ॥ मानवी को जरा भी इस बात का अहसास नही था . . . ॥ ॥ जब कभी कोई प्यार की नजर से मानवी को देखता . . . वैश्या खुद के लिए उस प्यार को महसूस करने लगती . . . जिसके लिए वो हमेशा तड़पी है . . ॥ ॥ अब जब भी मानवी , आकाश से मिलती ! ! वैश्या आकाश के प्यार को महसूस कर , उससे प्यार करने लगी . . . ॥ ॥
तभी वहाँ खण्डर में जमीदार के आदमी ! ! मानवी को ढूंढ लेते हैं . . I l l
जमींदार , ये लो तुम्हारी बेटी भी आ गयी . . I l l
मानवी . . ई . ई . . मेरी बच्ची .. ॥ ॥ सुरेश और राधा जोर से आवाज लगाते हुए . . . I l
माँ - बाबा ! ! . . . .
फिर जमींदार मानवी के सामने ! ! उसके मां - बाबा को पीट - पीटकर जान से मार देता है . . . और जैसे ही वह मानवी को मारने के लिए होता हैं . . . आकाश बीच में मानवी को बचाने आ जाता हैं . . . ॥ लेकिन गुस्से से भरा जमींदार ! आकाश को भी नहीं छोड़ता . . . ॥ ॥
मानवी के सामने ! ! जमींदार उसके माँ - बाबा और आकाश तीनों को बेरहमी से मार देता हैं . . ॥ ॥ लेकिन . . . आकाश को मरता हुआ देखकर वैश्या जमींदार पर टूट पड़ती है . . ॥ ॥ और अपना बदला लेने के लिए उसे मारने लगती हैं . . . ॥ तभी जमींदार के आदमी मिट्टी का तेल डालकर उसे जिंदा जला देते हैं . . . ॥ ॥ तड़पती और चीखती हुई आवाजें किसी को सुनाई नहीं देती है . . ॥ ॥
लेकिन ; जलती हुई मानवी और वैश्या उस जमींदार को भी अपनी लपटो में लेकर मार देती है . . ॥ ॥
अब मानवी और वैश्या की आत्मा की शक्ति मिलकर दो गुणा हो जाती है . . . ॥ फिर दोनों ही आत्माएँ मिलकर अपने अन्दर ! ! ऐसी आत्माओं को समेटती जाती हैं . . ॥ ॥ जो अभी भी एक सच्चे प्यार की तलाश में हैं ॥ ॥ और साथ ही उनकी शक्तियां भी बढ़ती जाती हैं . . ' और एक " शैतानी आत्मा " का रूप ले लेती हैं . . ॥ ॥
अब उस शैतानी आत्मा को ! अपना प्यार पाने के लिए एक सुंदर शरीर की जरूरत थी . . ॥ और उसके लिए वो शरीर थी . . . " करुणा " . . . ॥ ॥ करुणा की सुंदरता ही उसे अपनी ओर खींच लायी थी ! ! वरना करुणा के जन्म की उस बड़ी अमावस्या के बाद उसे वापस अपने भूतों के लोक में जाना पड़ता ॥ ॥
ऐसी ' शैतानी आत्मा ' तभी शांत होती हैं जब उनकी तलाश पूरी हो जाती है . . . ॥ ॥
क्या होगा आगे ... जब " शैतानी आत्मा " को ! ! हो जाएगा किसी से " प्यार " . . . ? जानने के लिए आगे पढ़ते रहे