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प्यार की शुरुआत

8 सितम्बर 2022

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आज शाम 7 बजे ! " Golden Cafe House " मै ; में तुम्हारा इंतजार करूंगा . . ॥ दक्ष , करुणा से ! शाम मे cafe House मे मिलने के लिए कहता है ॥ 

okk ; दक्ष में पहुंच जाऊगी ॥ ॥ करुणा भी ; दक्ष को मैसेज करती हैं I l

" Golden cafe House " हैदराबाद का बहुत माना हुआ cafe House है । । जहां बड़े - बड़े बिजनेस मेन अक्सर आते रहते हैं ॥ ॥

' दक्ष ' को ' okk ' का मैसेज करने के बाद ; करुणा के चेहरे ; पर दबी - दबी सी खुशी झलकने लगती हैं ॥ दक्ष से मिलने की खुशी . . . . . . . . . . .

वहीं दक्ष भी ; काम में बिजी होते हुए भी ! करुणा के बारे में ; खुद को सोचने से रोक ही नहीं पा रहा था ॥ ॥

सिर्फ एक बार ! करुणा को फंक्शन मे मिलने से ; तो मेरा ये हाल हो गया हैं । . . .  कि न चाहते हुए भी ; बार - बार उसका चेहरा ! मेरी आँखो के सामने आ रहा है ॥ ॥ आज शाम मिलने के बाद ; पता नही क्या होने वाला हैं । दक्ष ; अपनी चेयर पर बैठकर , मुस्कुराते हुए मन ही मन ! खुद के बारें में ये सब कहने लगता हैं ॥ ॥

कि तभी सर ! . . . सर . . . ! सर . . . ! ऑफिस का एक  एम्प्लॉयी ' मोहित ' जो ' दक्ष ' से ; एक जरूरी फाइल पर डिसकस कर रहा था । । दक्ष को सर ! सर आवाज लगाता हैं I l जब ' दक्ष ' बीच डिशकशन में ही ; अपने ख्यालों में खो जाता हैं ॥ ॥ 

हाँ ! . . . . क्या हुआ मोहित . . ? तुम ठीक तो हो ? क्या कह रहे थे तुम अभी ? दक्ष ; सर आवाज सुनकर , हड़बड़ाते हुए मोहित से कहता हैं । । 

सर में तो ठीक हूँ ! पर . . . आप कहाँ खो गए थे ?  मोहित ; दक्ष से कहता हैं । । 

कहीं नही . . . . बस ऐसे ही  I l  दक्ष ; मुस्कुराते हुए मोहित से कहता हैं । ।

आज ! सर को पता नही क्या हो गया है  ? मुस्कुराए जा रहे थे ॥ बहुत खोये - खोये से थे सर आज और वो भी काम के बीच में । ।  4 साल मै ; आज पहली बार मेंने ; सर को इस तरह से देखा हैं I l वरना काम के बारे में बात करते हुए ; किसी का फिजूल मै , हिलना तक उन्हें पसंद नही था ॥ ॥ मोहित केबिन के बाहर ,  ऑफिस के 3 - 4 लोगों को बताते हुए । । 

उधर ' करुणा ' का भी यही हाल था । । किसी भी काम में ;  आज उसका मन ही नही लग रहा था I l 

जैसे - जैसे घडी में टाइम निकल रहा था ॥ ॥ दोनों के अंदर मिलने की बैचेनी भी बढ़ रही थी ॥ साथ ही मानवी और बाकी सब आत्माओं के भी ॥ ॥ क्यूंकि . . . . . उन सब को भी ; अपने अंदर , प्यार का एक अजीब अहसास सा महसूस हो रहा था ॥ ॥ जो उन सब को ; करुणा के साथ ! दक्ष की ओर खींच रहा था I l

शाम के 6 बज चुके हैं । . . . . .

दक्ष जल्दी से घर पहुंचता हैं  I l माँ ! मेरे लिए आज डिनर नही बनाना ; में फ्रेंडस के साथ बाहर जा रहा हूँ । । दक्ष ' माँ को आवाज लगाते हुए कहता हैं ॥ ॥ 

उधर ; करुणा भी घर पहुंच चुकी थी । । जल्दी कर करुणा ; आज पहली बार किसी से मिलने जा रही हैं । । और आज ही लेट हो जाएगी क्या ? ? करुणा ; घर के अंदर सीढिया चढ़ते हुए , अपने रूम मे जाते समय खुद से कहती हैं । । 

पहली बार किसी से मिलने जा रहा हूँ ! इस तरह . . . . खाली हाथ जाना ठीक नहीं लगेगा . . . करुणा के लिए कोई गिफ्ट ले लूं क्या में ?  किसी से पूछ भी तो नहीं सकता इस बारे में ॥ शालिनी से  . . . नहीं ! नहीं ! वो माँ को बता देगी । । और फिर अभी पहली मुलाकात ही तो है हमारी ॥ एक काम करता हूं ; में एक प्यारा सा . . . बुके ले लूंगा । । गिफ्ट को लेकर दक्ष ; थोडा कन्फ्यूज हो रहा था ।

क्या पहनू अब में ? ? ? . . . हमम ये . . . ये . . . नहीं ! . . . .  . . फिर ये . . . ॥ ॥ हाँ ! तुम ये पहन लो ; इस ड्रेस में वो तुम्हे देखकर अपने होश खो बैठेगा . . . ॥ ॥ 

जब करुणा ; अपनी ड्रेस डिसाइड कर रही थी । । तभी पीछे से ब्रिंदा आकर कहती हैं  ॥ करुणा पीछे पलटते हुए . . . . . . . 

अरे ! माई आप ! आपको कैसे पता ? ? कि मैं . . . . क्यूंकि . . . में तेरी माँ हूं . . . ब्रिंदा ; करुणा के चेहरे प्यार से हाथ फेरती हुई कहती हैं । । 

करूणा ! माँ की बताई हुई ड्रेस पहनकर ; दक्ष से मिलने जाती हैं । । 

उधर ' दक्ष ' भी cafe जाने के लिए ! घर से निकल चुका था । ।

दक्ष के cafe पहुंचने के 5 - 10 मिनिट बाद ही , करुणा भी cafe पहुंच जाती हैं । । 

दक्ष ! अपनी टेबल बैठ कर ; करुणा का इंतजार कर ही रहा था l तभी करुणा अंदर आती हैं ॥ 

दक्ष ; करुणा को आता देख ! उसे देखता ही रह जाता हैं ।करुणा ; ब्लैक कलर की ड्रेस मे ; इतनी सुंदर लग रही थी । कि ' दक्ष ' अपनी पलकें भी नही झपक रहा था । । करुणा की ड्रेस , घुटनों तक आ रही थी ॥ उसके दूध जैसे गोरे शरीर पर ; ब्लेक ड्रेस बहुत खिल रही थी ॥ स्मोकी आइज और हाई पोनीटेल में ; आज करुणा का चेहरा और भी ज्यादा आकर्षक लग रहा था । । उसके चेहरे की चमक ; आज दक्ष को पहले से भी कई ज्यादा महसूस हो रही थी ॥ ॥

वही करुणा ; दक्ष वाली टेबल पर उसके सामने आकर ! बैठ जाती है । और दक्ष को देखकर करुणा ; थोड़ा सरमा जाती हैं ॥ 

Hi ! तुम आज , बहुत सुंदर लग रही हो करुणा ॥ ॥ दक्ष ; करुणा को फूल देते हुए कहता है । ।  

थैंक यू सो मच ! दक्ष . . . . 

दोनों एक - दूसरे को देखकर , मुस्कुराने लगते हैं ॥ ॥

वैसे आप भी आज ! इस " ब्लू शर्ट " में बहुत हैंडसम लग रहे हो " दक्ष " . . . । । " करुणा " मन में ' दक्ष ' की तारीफ करते हुए सोच रही थी । पर दक्ष से ये सब ; उसके सामने कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी I l 

दोनो ही चुप बैठे हैं . . . दोनो मन ही मन एक दूसरे की तारीफ करते हैं . . पर बात शुरू कैसे करें ? ये दोनों को ही समझ नहीं आ रहा । । 

हमम . . . कॉफी . . . तभी दक्ष !  करुणा से कॉफी के लिए पूछता हैं ॥ और करुणा के हाँ कहने पर ; वेटर को इशारे से दो कॉफी लाने के लिए कहता हैं I l  

फिर दोनों ! आपस में बातें करने लगते है . . ॥ ॥ 

तभी वेटर आकर दोनो के सामने ; कॉफी का कप रखता हैं ॥ ॥ जिसे देखकर दोनों ही जोर से हंसने लगते हैं ॥ 

करुणा हंसते हुए : ये कॉफी पर आपने . . . . दक्ष : - नहीं ! नही ! मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा था " करुणा " ॥ ॥ ये कॉफी पर हार्ट शेप बनाने का आइडिया मेरा नहीं है । । दक्ष भी हंसते हुए कहता हैं । । आज से पहले में ; इतना कब हंसा था । मुझे तो याद भी नहीं ॥ 

करुणा ! में भी . . . आपसे मिलकर इतने दिनो बाद बहुत हंसी हूँ । । 

और फिर बातों ही बातों में ; डिनर करते हुए ( टेबल पर ) " दक्ष का हाथ ! करुणा के हाथ से टच हो जाता है  " । ।

सॉरी करुणा . . ॥ दक्ष का हाथ , करुणा से टच होते ही करुणा की आँखे नीली हो जाती हैं ॥ ' it's ok '  दक्ष . . . I l करुणा की आंखे नीली देखकर ! दक्ष एक पल के लिए समझ नही पाता है कि ऐसा अचानक से कैसे हुआ ? 

तभी वेटर ; सर . . . आपकी स्पेशल मिठाई . . . " ॥ ॥ दक्ष वेटर की ओर देखकर वापस करुणा को देखता हैं ॥ ॥ करुणा की आंखे नार्मल होती हैं ॥ ॥ 

शायद ये मेरा वहम होगा । । अभी तो ठीक हैं  . . . . दक्ष मन में ; करुणा की आंखों का कलर सोचते हुए  कहता है I l

फिर दोनों ही ; डिनर करने के बाद , घर जाने के लिए उठते हैं  l l

बाहर आकर . . . . आज बहुत अच्छा लगा ! तुमसे मिलकर . . . I मुझे भी ! दक्ष . . . . वाय ।

दक्ष और करुणा आपस में ; एक - दूसरे से ये कहते हैं और फिर घर निकल जाते हैं . . . I l l

लेकिन . . . . दक्ष कार मै अभी भी ; करुणा की उस वक्त नीली हुई आंखो के बारे में ही सोच रहा था ॥ 

क्या सच मे ऐसा कुछ हुआ था ? ? ? या ये सिर्फ मेरा एक वहम हैं I l वहम ही होगा दक्ष . . . चल छोड ना . . . . I l ऐसा भी कभी होता हैं क्या ? ? 

क्या होगा आगे ? जब दक्ष को महसूस होगी करुणा के साथ मानवी . . . . ? ? ? 

क्या दक्ष का प्यार ; शुरू होते ही ! हो जाएगा खत्म या फिर होगा अलग रोमांस . . . . ॥ ॥ 

जानने के लिए आगे पढते रहे और बने रहे_ _ _

 

 

 

 

 

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