जब बेख़ौफ़ को जीना पड़े ख़ौफ़ में,
उस दौर में बेख़ौफ़ भी क्या चीज़ है.
जिंदगी मिलना बड़ी बात नहीं,
बड़ी बात तो जीना है ज़िंदगी.
इम्तिहान उनका भी होता है, जो इम्तिहान से डरते है,
ना जाने फिर भी लोग क्यों इम्तिहान से डरते है.
मौत का आना कोई नई बात नहीं ' आलिम ' ,
हर रोज़ किसी बदनसीब को आती ही है.
मौत को भी कुछ लोग जीत लेते है,
बेख़ौफ़ हो जो इम्तिहान दिया करते है.
घड़ी इम्तिहान की में जो घबरा जाए,
वो मौत आने से पहले मर जाया करते है.
ख़ामोश है निगाहें, जुंबा भी खामोश है,
डर का कुछ फैला ऐसा माहौल है,
इस जीने को भी कुछ लोग ज़िंदगी कहते है,
यही जिंदगी है मेरे यार मौत किसे कहते है.
खंज़र से वार कर जीत लेना कोई जीत नहीं,
दुश्मनों के दिलों पर राज करना ही जीत है. (आलिम)