हर हर गंगे
करम जिसे पुकारेवो पहुंचे गंगा किनारेना कर मैली तू गंगातन धोये मन तो गन्दापलट के फिर ना आनीबोली बात और बहता पानीना कर मैली तू गंगातन धोये मन तो गन्दामन पावन हो गंगा में डूबे नहाएमन रावण जो लहरों में तूने बहाएजो चला गया वो लौट के फिर ना आयेतेरा करम ही है जो संग तेरे ही जाएमन पावन हो गंगा में डूबे नहाए