गुल खिल नहीं पाए दीवारों सी हवा छाई है
गुलिस्ता में जैसे खुद बहार में आग लगाई है
वरना क्यों ठहरते हम यू साहिलों पर आकर
मंजिल मिली हैं लेकिन लगता है पराई है
मोहब्बत हमें इस मोड़ पर ले आई है अब
जहां मिला किनारा फिर भी तूफानों की परछाई है
इस वीराने दिल में उम्मीदों की रोशनी कितनी बार की
फिर भी रहा अंधेरा किस्मत भी क्या पाई है
फरियाद करु तो किसको मेरे ख्वाबों के एतबार की
किया एतबार तो पाली यही आई है
आखिर तेरे प्यार से हम यही सीखे सनम
प्यार काही दूसरा नाम बेवफाई है