shabd-logo

बेवफा

16 नवम्बर 2021

35 बार देखा गया 35
गुल खिल नहीं पाए दीवारों सी हवा छाई है
गुलिस्ता में जैसे खुद बहार में आग लगाई है
वरना क्यों ठहरते हम यू साहिलों पर आकर
मंजिल मिली हैं लेकिन लगता है पराई है
मोहब्बत हमें इस मोड़ पर ले आई है अब
जहां मिला किनारा फिर भी तूफानों की परछाई है
इस वीराने दिल में उम्मीदों की रोशनी कितनी बार की
फिर भी रहा अंधेरा किस्मत भी क्या पाई है
फरियाद करु तो किसको मेरे ख्वाबों के एतबार की
किया एतबार तो पाली यही आई है
आखिर तेरे प्यार से हम यही सीखे सनम
प्यार काही दूसरा नाम बेवफाई है

Jitendra Darji की अन्य किताबें

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए