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बेवफा निकली तू

14 जुलाई 2017

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जिस तस्वीर को सीने से लगाया,

वो ही दगा कर गयी

हाँ लगा यूँ की

जिसने हमें जीना सिखाया,

वो ही शिकायत कर गयी

प्यार की धुन गाता रहा,

वो दर्द ए मोहब्त की वकालत कर गयी

क्यों झूठे क़सम वादे करते ह लोग यहाँ ?

जब खुद की बातें किसी को याद रहती नहीं.

साथ साथ दूर तक चलने की बात करते है

और कुछ दूर तक उनसे चला जाता नही!

मै तो उनकी ही धुन मे रहा

वो चुपके से बिन बताए चल दी

खुद को भुलाकर , उसको खुद मे पाया

लेकिन वो हमारी खुदी को

बेखुदी कर गयी.

पोछते रहे जिनके आंशू

वो आज दुनिया के सारे आंशू हमे दे गयी

मै हारा या इश्क़ आज तेरी हार हुई

बनना चाहा जिसका सहारा , वो बेसहारा छोड़ गयी

मोहब्बत भरे इस दिल मे आज आग सी लगी है

कपकपाती रूह बर्फ सी जम गयी है

खामोश ये लब्ज़

विचलित इस मन को सुनने लगे है

दूर समन्दर मे खड़ी मेरी नाव

इन लहरो मे डगमगाने लगी है

अकेले चले थे इस सफर में ,

उनसे मिले तो लगा हमसफर मिला है

लेकिन वक़्त का फेर बदला

हम तो खुद suffer करने लगे

जाते जाते ख़ामोशी उनकी चुभती रही

नासमझ दिल उसे भी प्यार समझ बैठा

और इंतज़ार की घड़ियाँ तकने लगा

खामोश ये वक़्त कभी उनके पास से गुजरा नही

ये तो दर्द ए आग म जीते जी, हमे जलाता चला गया

अब ना उसके आने का इंतज़ार है

ना कभी उसे पाने की ज़िद्द

चलते जाना ही जिंदगी है.

जिस तस्वीर को सीने से लगाया........................

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zindgi
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