सवाल है कि भाग्य होता है,
या नहीं होता है,
लेकिन ये सच है कि,
बिना कर्म के भाग्य अकेला होता है।
भाग्य कर्म और समय का,
योगफल होता है,
जो जितना ज्यादा मेहनत करता है,
उसका भाग्य उतना ज्यादा चमकीला होता है।
अगर बैठे रहे दुनियाँ में,
भाग्य के भरोसे,
तो आगे का रास्ता,
अँधकार मय होता है।
सोच सही हो तो,
रास्ता मिल ही जाता है,
क्षमता हो "दीप" ख़ुद में,
तो भाग्य खिल ही जाता है।
भाग्य का भाग्य देखने के लिए,
कठिन कर्म करना ही पड़ता है,
जो दृढ़ निश्चय कर लेता है,
भाग्य उसी का साथ देता है।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर