गोपाचल पर्वत पर स्थित,
किलों का 'जिब्राल्टर' कहलाता है।
सूरजसेन ने इसे बनवाया,
मानसिंह के भाग्य का विधाता है।
ग्वालियर का किला समेटे,
बहुत से राजाओं की कहानियाँ है।
मृगनयनी और मानसिंह के प्रेम की,
यहाँ पर अमिट निशानियाँ है।।
जहाँगीर ने कैद में रखा,
52 राजपूत राजाओं को था।
52 कलियों का पहन अँगरखा,
गुरु हरगोविंद ने सब को मुक्त कराया था।।
इसीलिए ऐतिहासिक गुरुद्वारा,
दाता बन्दी छोड़ कहलाता है।
गुरु जी की याद में प्रतिवर्ष,
प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारा जगमगाता है।
जैन तीर्थकरों की विशाल मूर्तियाँ,
किले तलहटी में स्थित हैं।
गूजरी महल,सास बहू,तेली का मँदिर,
किले का अद्वितीय स्थापत्य हैं।।
शाल भंजिका की त्रिभंग प्रतिमा,
सबको बहुत लुभाती है।
चेहरे पर अद्वितीय मुस्कान लिये,
भारतीय 'मोनालिसा' कहलाती है।।
चतुर्भुज मँदिर का "शून्य" शिलालेख,
दुनियाँ के गणितज्ञों को आकर्षित करता है।
ज़ीरो का प्राचीनतम इतिहास समेटे ये,
किला हम सबको गर्वित करता है।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर