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हमारा ग्वालियर

Dr. Pradeep Tripathi

7 अध्याय
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इस किताब में ग्वालियर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक तथ्यों को हमने कविताओं के रूप में व्यक्त करने का प्रयास किया है।ग्वालियर जिसे संगीत नगरी का दर्जा भी प्राप्त है।ग्वालियर की फ़िजा में संगीत घुला बसा हुआ है।यहाँ का स्थापत्य बेजोड़ है।ग्वालियर का किला अद्वितीय है जो हम ग्वालियर वासियों के शान का प्रतीक है।ग्वालियर किले पर स्थित दाता बन्दी छोड़ गुरु द्वारा भव्य है।ग्वालियर और आस पास का पर्यटन मनोरम है।इन सभी को मैंने अपनी कविताओं में पिरोने का प्रयास किया है।आशा है कि आप सभी को हमारा प्रयास पसंद आएगा। 

hmaaraa gvaaliyr

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पुस्तक के भाग

1

ग्वालियर का किला

27 जुलाई 2022
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गोपाचल पर्वत पर स्थित,किलों का 'जिब्राल्टर' कहलाता है।सूरजसेन ने इसे बनवाया,मानसिंह के भाग्य का विधाता है।ग्वालियर का किला समेटे,बहुत से राजाओं की कहानियाँ है।मृगनयनी और मानसिंह के प्रेम की,यहाँ पर अम

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संगीत सम्राट "तानसेन"

29 जुलाई 2022
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तानसेन थे संगीत के सूरज,तानपुरा(सितार) वो बजाते थे।'बेहट' ग्वालियर में जन्म लिया,पिता मुकुंद मिश्र 'तन्ना' कहकर बुलाते थे।।स्वामी हरिदास से शिक्षा लेकर,हज़रत गौस को गुरु बनाया था।अकबर ने 'मियाँ' की उपा

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वो ऐसे अटल बिहारी थे

16 अगस्त 2022
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जब पूँछा प्रश्न था पत्रकार ने,एक साथ कैसे वो 'अटल' और 'बिहारी' थे।खड़े रहे तो 'अटल' हो गए,और दौड़कर बने 'बिहारी' थे।वो ऐसे अटल बिहारी थे।।परमाणु परीक्षण किया था जब,विरोध में दुनियां सारी थी।भारत को शक्त

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भाग्य और कर्म

6 अक्टूबर 2022
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सवाल है कि भाग्य होता है,या नहीं होता है,लेकिन ये सच है कि,बिना कर्म के भाग्य अकेला होता है।भाग्य कर्म और समय का,योगफल होता है,जो जितना ज्यादा मेहनत करता है,उसका भाग्य उतना ज्यादा चमकीला होता है।अगर ब

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नए साल की उम्मीदें

1 जनवरी 2023
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ऐ जाते हुए साल!छोड़ गया तू कई सवाल,मत भुलाना तुम मुझे यादों में,मैं भी याद रखूंगा तुझे ख्वाबों में।मेरी हर खुशी हर ग़म का,पहरेदार रहा है तू ,तेरे हर पल में,बसी है मेरी खुशबू।बहुत कुछ खोया तो,बहुत कुछ पा

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मेरे शिव शंकर शम्भू

18 फरवरी 2023
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*मेरे शिव शंकर शम्भू(भजन)*हे! शिव शंकर शम्भू भोलेअद्भुत है तेरी कायातूने भस्म का लेप लगायाकण कण में तू है समाया।शशि हैं शीश विराजेबाघम्बर तन पर साजेपहनी है मुंडों की मालातेरा रूप है बहुत निराला।शिव शं

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कारगिल विजय दिवस

26 जुलाई 2023
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हाथ बढ़ाया था अमन का हमने,मगर वो नादानी कर बैठे।दिल्ली से लाहौर चली थी बस,मगर वो बेईमानी कर बैठे।।लाहौर समझौता करके हमने,शांति का पाठ पढ़ाया था।मगर पीठ पर खंजर भोंका,और 'ना'पाक कारगिल कर बैठे।।घुसपैठि

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