जब पूँछा प्रश्न था पत्रकार ने,
एक साथ कैसे वो 'अटल' और 'बिहारी' थे।
खड़े रहे तो 'अटल' हो गए,
और दौड़कर बने 'बिहारी' थे।
वो ऐसे अटल बिहारी थे।।
परमाणु परीक्षण किया था जब,
विरोध में दुनियां सारी थी।
भारत को शक्तिसम्पन्न किया था तब,
ऐसे वो शान्ति पुजारी थे।
वो ऐसे अटल बिहारी थे।।
सरकार गिरी थी एक वोट से जब,
संसद में बहस हुई बड़ी भारी थी।
संख्या बल से समझौता नहीं किया तब,
राजनीति के सुचिताधारी थे।
वो ऐसे अटल बिहारी थे।।
प्रस्ताव रखकर शादी का,
कश्मीर का नेग जो मांगा था।
पूरा पाकिस्तान दहेज़ में माँग,
पाकिस्तानी पत्रकार को चौंकाया था।
ऐसे हाज़िरजवाब वो भारी थे।
वो ऐसे अटल बिहारी थे।।
सबको साथ ले चलते थे,
सबकी सन्मति वो सुनते थे।
खाने के शौकीन बड़े वो,
रिश्तों पर बलिहारी थे।
वो ऐसे अटल बिहारी थे।।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर