आहार मानव-जाति की मूलभूत आवश्यकता है | यह संस्कृति की सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहचान है, जो भौतिक सुखों की सबसे आदिम अवस्था भी है | आहार के संबंध में भारतीयों की एक खास पहचान है | संसार के भिन्न-भिन्न लोगों की पसंद के सम्बन्ध में भारतीय व्यंजनों का वैसे भी कोई जोड़ नहीं है | संसार का शायद ही ऐसा कोई देश हो, जहां भारत जैसी विविध व्यंजनों की एक विस्तृत श्रृंखला मौजूद हो ।
भारत के हर क्षेत्र का अपना एक विशिष्ट आहार व्यवहार
एवं पाक-कला शैली है | उत्तर भारत में जहां मांसाहार का प्रचलन अधिक है, यहाँ के
व्यंजन मुगलई शैली में तैयार किये जाते हैं, जिसमें मध्य-पूर्व एशिया की पाक-कला
का दर्शन होता है, वहीं दक्षिण भारत में शाकाहार का प्रचलन अधिक दिखाई पड़ता है,
जिसमें भारत की पुरातन गौरवमयी संस्कृति की झलक दिखती है | व्यंजनों के सन्दर्भ
में यह ध्यान देने योग्य बात है कि हिन्दुओं के लिए गो-मांस तो मुस्लिमों के लिए
सूअर का मांस निषिद्ध है | वास्तव में, भारत मसालों का देश है, जहां विभिन्न
मसालों से युक्त व्यंजन बड़े पैमाने पर तैयार किये जाते हैं | यहाँ के मसालेदार
चटपटे व्यंजनों के स्वाद से पेट एवं जीभ में गुदगुदी स्वतः ही होने लगती है |
उत्तर भारत में जहां रोटियां खाना लोग अधिक पसंद करते हैं, वहीं दक्षिण भारत में
चावल खाने का प्रचलन अधिक है | साथ ही दक्षिण भारत की एक विशेष बात यह भी है कि
यहाँ कांटा एवं छुरी (फोर्क एवं स्पून) की अपेक्षा हाथ से खाने का रिवाज अधिक है |