अब क्या मार ही डालोगे ?
जन्म दिया, मुंह फेर लिया,फिर, इस संसार ने घेर लिया,कभी पढाई, कभी दवाई,कभी मिलाई, कभी जुदाई,कुछ पाया चाहे कभी नहीं,पर चुक गई, पाई-पाई,रोज़ झाँकता दरवाज़े पर,क्या आज सफलता आई ?घर-समाज की बेड़ियाँ,बस बंधन, जकड़न लाईं,बहुत हुआ उपकार आपका,बस मुंह, मुंह की खाई,क्या इस हाल मेंभी, मेरे लिये,इम्तिहान नया लाओगे ?