पहाड़ी राज्य सिक्किम अपने विशिष्ट प्रकार के व्यंजनों के लिए जाना जाता है | सिक्किमी व्यंजन अत्यंत अनोखे व्यंजन हैं क्योंकि इन व्यंजनों में न केवल भारत के अन्य राज्यों का अभूतपूर्व मेल दिखाई पड़ता है बल्कि पड़ोस के अन्य देशों के विविध व्यंजनों की छाप भी सामान्य रूप से मिलती है | भारतीय पाक कला शैली से तैयार होने वाले इन व्यंजनों पर तिब्बती, नेपाली एवं भूटानी पाक कला का स्पष्ट प्रभाव दिखाई पड़ता है | वास्तव में आस-पड़ोस के अन्य भारतीय राज्यों एवं अन्य देशों की सांस्कृतिक छाप, भौगोलिक विषमताओं एवं समय के साथ हुए विविध परिवर्तनों का प्रभाव यहाँ के व्यंजनों में सहज ही दिखता है | उल्लेखनीय है कि यह सिक्किमी लोगों के उत्कृष्ट दिमाग को दर्शाता है कि इन्होंने अपने व्यंजनों की विशिष्टता को बनाये रखते हुए अन्य संस्कृतियों की केवल उन विधियों एवं शैली को ही आत्मसात किया है जो इनके दैनिक जीवन-यापन में सहायक हों | सिक्किम के लोग बड़े पैमाने पर चावल का सेवन करते हैं हालाँकि मक्का भी यहाँ का एक प्रमुख आहार है | इस राज्य के निवासियों के दैनिक आहार में दाल, विभिन्न प्रकार की ताजी सब्जियां, बांस की कलियाँ, जंगली फूल, मशरूम और बिच्छू पौधे की पत्तियां भी शामिल हैं | जबकि मांसाहारी व्यंजनों की दृष्टि से यहाँ सूअर, भेड़-बकरी एवं मछलियों से बने उत्पाद महत्वपूर्ण हैं | इस राज्य के विभिन्न हिस्सों में मांस एवं दुग्ध से बने विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का प्रयोग इनकी उपलब्धता पर निर्भर है | खास बात यह भी है कि किण्वित सब्जियों एवं पेय पदार्थों का सेवन सिक्किमी परंपरा का एक अभिन्न अंग है | इससे प्रतिकूल मौसम में भी सब्जियां संरक्षित रखी जा सकती हैं | गौरतलब है कि सूप, विभिन्न तरह के अचार (हर व्यंजन के लिए अलग) और पेय पदार्थों से यहाँ के व्यंजनों का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है | साथ ही इन विशिष्ट व्यंजनों के सेवन से राज्य के भीषण ठंडे मौसम का सामना करने में स्थानीय लोगों को मदद भी मिलती है |
लोकप्रिय सिक्किमी-व्यंजनों की सूची :
मोमोज, टमाटर का अचार, थुकपा या ग्याथुक, काइनेमा कढी या किण्वित सोयाबीन, गुन्द्रुक एवं सिंकी सूप (किण्वित सब्जी), गुन्द्रुक का अचार, छुरपी सूप, छुरपी का अचार, छुरपी निन्ग्रो कढी, सेल रोटी, शिमी को अचार, पक्कू या मटन करी, मेसू अचार (किण्वित बांस की कली) इत्यादि |