हमारी यादों में हमेशा जिंदा रहेंगे निदा फाजली (८ फरवरी २०१६ को निधन पर भावभीनी श्रधांजलि)
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो, यूँ कर लेंकिसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये|हमसफ़र तो कोई वक़्त के वीराने में,सूनी आँखों में कोई ख्वाब सजाया जाये|रोशनी की भी हिफ़ाज़त है इबादत की तरह,बुझते सूरज से चराग़ों को जलाया जाये|ग़म अकेला है तो साँसों को सताता है बहुत,दर्द को दर्द का हमदर्द बनाया जाये|घर से मस्जिद ह