कलुषित विचारों से कोसों दूर,
सुख सुविधाओं से भी सदा रहा वंचित।
हर एक किसी का पेट भरने वाला,
क्या कभी किसी ने भी, देखा उसका भी निवाला।
स्वयंसिद्धा है वह, वह नहीं किसी पर भी बोझ।
उसके भोलेपन का फायदा,सदा उठाते आए हैं लोग।
पढ़ा लिखा नहीं है, पर अपने आप में सक्षम है।
अंधविश्वासी है वह, यह उसने कब नकारा है।
सच कहें तो भारतीय परंपराओं को बस उसी पाला है। सादगी का है वह द्योतक,हर किसी का है वह पोशाक ।
परोपकारी सब को जीवन देने वाला।
- हां यही तो है भारतीय कृषक।