मैं अपना स्वाभिमान लेकर आई थी तुम्हारे घर
पर तुमने मेरे स्वाभिमान को ही अभिमान समझ लिया
अभिमन वा स्वाभिमान में फर्क तो बहुत है
पर वह फर्क तुम्हें न दिखा।
मैं सहचरी बनकर आई थी तुम्हारे घर पर तुमने तो अनुचरी बना दिया।
सहचरी और अनुचरी में फर्क बहुत है,
यह फर्क तुमको न दिखा।
मैं अपना घर बार छोड़कर आई तुम्हारे घर
क्या आप ने मुझे दिल से स्वीकारा?