खुद के बारे में लिखूंगा तो कुछ लोगों के किरदार खराब हो जायेंगे
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अब क्या ही लिखूं तेरी सुरत के लिए मेरे श्याम,तेरी सुरत देखकर ही मेरी सांसे चलती है।
बात है सन 2016 की मैं और अवि वह अपनी सहेलियों के साथ घर जा रही थी और मैं उनके पीछे पीछे थोड़ी दूर चलने के बाद बारिश शुरू हो गई और हम सब ने उस पाक के बने दरवाजे की छत का सहारा लिया और इसके नीचे खड़े हो
आज रीट का इम्तेहान है हम दोस्त खुश है पर मेरी खुशी अलग ही है क्योंकि आज हम 7 महीने बाद मिलने वाले है क्योंकि हमारा परीक्षा केंद्र एक ही जगह आया है हनुमानगढ़। बाकी हम जाके देखेंगे केसा होगा मिलन!