सेवानिवृत बरिष्ठ नागरिक राजकुमार और सुलोचना जैन
निःशुल्क
<p>आज २०२१ जा रहा है,</p> <p>इसने हमें ,</p> <p>परेशान किया,</p> <p>दुःख दिया, </p> <p>कोरोना दिया,</p> <p>पर लड़ने की शक्ति भी दी,</p> <p>इस सबके लिए,</p> <p>एक धन्यवाद तो बनता है...</p> <p>आइये
<p>कल बादल ,</p> <p>जमीन पर उतर आये,</p> <p>उनसे अपने ही पानी का बोझ,</p> <p>नहीं बना उठाते.</p> <p>
<p>जिन्दगी भर ,</p> <p>जो सही लगा ,</p> <p>वही किया,</p> <p>वही कहा.</p> <p>अब जीवन के</p> <p>अंतिम
<p>टीवी पर देखा ,</p> <p>सारे लक्षण थे,</p> <p>जो बताया ,</p> <p>वह किया .</p> <p>सारी दवाएं -टानिक
<p>एक समय था,</p> <h2>जब मुझे ,</h2> <h2>त्योहारों से प्यार था,</h2> <h2>दशहरा हो,</h2> <h2>दीवाली ह
<h3>रात्री के नौ बजे थे , लोग रात्री भोजन के बाद घूमने निकले थे. रमेश भी उनमें से एक था .रोजाना की त
<p>ये क्या हो गया है,</p> <p>मेरी जिन्दगी को ,</p> <p>बाहर जाने में ,</p> <p>करोना से ,</p> <p>डर लग
<p>आज मेरा मनमीत उदास था,</p> <p>आकर बोला ,मुझे नहीं जाना,</p> <p>मैं तुम्हारे बिना, नहीं रह सकता,</
<p>मन स्वभाव से चंचल होता है,आज यहाँ ,तो कल कहीं और होता है. बचपन में मां ,फिर घर वाले और फिर खिलौने
<h3>प्रकृति से सभी आगे बढ़ना चाहते हैं ,सभी चाहते हैं कि उनको सभी प्यार करें ,उनकी प्रशंसा करें