*बिषय-अत्त*
*1*
अत्त करे हलके कभी,
छमा करो श्रीमान।
अगर बडे से होय तो,
खैंचें ऊकै कान।
***
*2*
नेतन की चल जात है
उल्टी सूदी जान।
अत्त सहत सब लोग है,
फिर भी कहत महान।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक-'अनुश्रुति' त्रैमासिक ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
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(मौलिक एवं स्वरचित)