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ब्राहम्ण और शातिर ठग

22 सितम्बर 2022

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 एक बार की बात है, एक गांव में एक बहुत ही प्रसिद्ध कथावाचक ब्राहम्ण था जो गांव के मंदिर में ही रहता था। गांव के सभी लोग उसे बड़े सम्मान की दृष्टि से देखते थे और उसका बड़ा आदर करते थे। उनके
भक्तों द्वारा उन्हें वस्त्र, खाने की अनेकों सामग्रियां, त्योहारों के समय उपहार एवं धन मिलता था।  भक्तों द्वारा दिए गए वस्त्रों को कथावाचक ब्राहम्ण ने बेचकर बहुत अधिक धन इकट्ठा कर लिया था, जिससे वे हमेशा धन की सुरक्षा की चिंता में रहते थे।कथावाचक ब्राहम्ण की एक खास बात यह थी कि वे किसी पर भी भरोसा नहीं करते थे और धन की रक्षा स्वयं ही करते थे। वे जहां भी जाते धन की पोटली अपने साथ ही संभाल कर रखते थे। 

 जिस गांव में कथावाचक ब्राहम्ण को इतना मान सम्मान मिलता था, उसी गांव में एक शातिर ठग भी रहता था, जिसे कथावाचक ब्राहम्ण के धन के बारे में जानकारी थी और वह किसी भी प्रकार से कथावाचक ब्राहम्ण का धन लुटना चाहता था।उसने कथावाचक ब्राहम्ण का पीछा अनेक दिनों तक किया परंतु कथावाचक ब्राहम्ण हमेशा धन की पोटली अपने साथ रखते थे जिसके कारण उसे कभी भी धन चुराने का अवसर नहीं मिल पाया। शातिर ठग के द्वारा अनेकों बार प्रयास करने के पश्चात भी वह कथावाचक ब्राहम्ण का धन चुराने में हर बार असफल रहा इसलिए अबकी बार वह धन चुराने का कोई और उपाय सोचने लगा। सोचते सोचते उसे एक युक्ति सूझी और उस युक्ति को सार्थक करने के लिए उसने कार्य शुरू किया।  

शातिर ठग ने सर्वप्रथम एक शिष्य का भेष बनाया और कथावाचक ब्राहम्ण के पास जाकर बोला कि वे उसे अपना चेला बना ले ताकि वह उसके के साथ रहकर ज्ञान अर्जित करेगा और एक ज्ञानी मनुष्य बनेगा। उसके अनुरोध के बाद कथावाचक ब्राहम्ण ने उसे अपना चेला बना लिया और अब वह उसी मंदिर में रहने लगा जिस मंदिर में कथावाचक ब्राहम्ण रहते थे। वह मंदिर के सभी कार्य भली-भांति करता था, इसके साथ ही वह कथावाचक ब्राहम्ण की सेवा भी बड़े अच्छे से करता था, जिसके कारण कुछ ही समय पश्चात वह कथावाचक ब्राहम्ण का करीबी बन गया। 

कुछ समय बीतने के पश्चात, एक दिन कथावाचक ब्राहम्ण को दूसरे अन्य किसी गांव में अनुष्ठान के लिए आमंत्रित किया गया और ब्राहम्ण  ने उस आमंत्रण को बड़ी सहजता से स्वीकार भी कर लिया। जब अनुष्ठान का दिन आया तो कथावाचक ब्राहम्ण चेलाके साथ दूसरे गांव के लिए निकल पड़े। 

दूसरे गांव जाते समय बीच में एक नदी पड़ती थी, जैसे ही कथावाचक ब्राहम्ण और शातिर ठग जब नदी के पास पहुंचे तो कथावाचक ब्राहम्ण ने नदी में स्नान करने की इच्छा जताई और अपने धन की पोटली शातिर ठग को पकड़ा दी और खुद नहाने चले गए।  

जब कथावाचक ब्राहम्ण नहाने चले गए, तब शातिर ठग को यह कथावाचक ब्राहम्ण के धन को लूटने का सबसे उत्तम अवसर दिखा और वह कथावाचक ब्राहम्ण की पोटली लेकर भाग गया। 

शिक्षा - किसी भी अजनबी द्वारा कही गई बातों पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए।   

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