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Ch.2__ mulakat

20 नवम्बर 2023

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ये कहकर वो थोड़ी दूर जाकर फोन पर बात करने लगती है और अलवीरा आगे चली जाती है। ऊपर वो एक कमरे में पहुंचती है और कमरे को देखते हुए कहती हैं,


"Wow ! कमरा तो बहोत बड़ा और सुन्दर है।"

ऐसा करते हुए वो बिस्तर पर लेटते हुए खुद से कहती हैं, "oh god! मैं तो बहोत थक गई यार...।"

वो थोड़ी देर के लिए अपनी आंखें बंद कर एक गहरी सांस लेकर आराम करने लगती है। तभी थोड़ी देर बाद उसी कमरे के बाथरुम से शाहिद नहाकर टावेल में बाहर निकलता है, इस बात से अनजान की उस कमरे में कोई और भी है। वो आईने के सामने खड़ा होकर अपने गीले बालों को सुखाने लगता है, वहीं थोड़ी दूर बैंड पर लेटी अलवीरा आंखें बंद किए हुए लेटी हुई थी कि तभी अचानक उसके चेहरे पर शाहिद के बालों से निकले पानी की कुछ बूंदें पड़ती है।

वो इसे महसूस कर धीरे से कहती है, "अरे ये पानी कहां से आ रहा है?"

वो उठकर अपने आस-पास देखती है। तभी उसकी नज़र शाहिद पर जाती है। उसे ऐसे टावेल में देख उसकी थोड़ी चीख निकल जाती है, "आ.. आ..।"

ये सुनते ही शाहिद भी पिछे पलटता है और अलवीरा को अपने कमरे में देख हड़बड़ाते हुए कहता है, "तुम तुम यहां क्या कर रही हों? वो ये बोलते हुए अलवीरा के तरफ़ पीठ कर लेता है।"

अलवीरा भी उसे ऐसे देख अपना मुंह घुमा कर कहती हैं, "अरे ये बात तो मुझे आप से पुछनी चहिए, ऐसे कोई लडकीयों के कमरे में आता है क्या?"

ये सुन शाहिद थोड़ा उसकी तरफ मुड़ता है फिर खुद को देखते हुए जल्दी से अपने कबड से र्शट निकाल कर पहनते हुए कहता है, "oh Hallo! कौन-सी लड़की का कमरा, ये मेरा कमरा है और तुम यहां कर क्या रही हों?"

ये सुन कर अलवीरा थोड़ा चौंकते हुए कहती हैं, "क्या? ये आपका कमरा है पर शहनाज़ ने तो मुझे, ।" 

तभी वहां शहनाज़ आकर अलवीरा को देखते हुए कहती हैं, "अरे अलवीरा जी। मैं कब से आपको अपने कमरे में देख रही हुं? आप यहां क्या कर रही हों।"

ये कहते हुए उसकी नज़र शाहिद पर पड़ती है उसे ऐसे सिर्फ कुर्ते और टावेल में देख वो कहती हैं, "ये क्या भाई आप ऐसे क्यों हो?"

ये सुनते ही अलवीरा थोड़ा हड़बड़ाते हुए शाहिद के कुछ कहने से पहले ही अपना बैग उठा कर कहती हैं, "कुछ नहीं वो मैं गलती से यहां आ गई थी। तुमने इसी तरह इशारा किया था ना इसलिए Sorry!" 

ये बोलकर जल्दी से वहां से निकल जाती है ये देख शहनाज़ भी शाहिद को देखते हुए वहां से निकल जाती है। दोनों के जाने के बाद शाहिद थोड़े गुस्से से अपने कमरे के दरवाजे को बंद करते हुए खुद से कहता है,

"लगता है घर में एक बड़ी मुसीबत आ गई है।"

 शहनाज़ अलवीरा को लेकर अपने कमरे में पहुंचते हैं शहनाज़ अपना कमरा दिखाते हुए, "ये मेरा कमरा है, कैसा लगा आपको?"

अलवीरा अपना सामान रखते हुए कमरे को देखती हुई कहती हैं, "आआ कमरा तो बहोत सुन्दर है। पर ये पहले वाले कमरे से मतलब आपके भाई के कमरे से छोटा नहीं है।"

शहनाज़ कमरे की बालकनी खोलते हुए कहती है, "अरे नहीं वो क्या है ना भाई को अपने कमरे में ज्यादा सामान रखना पसंद नहीं है इसलिए शायद आपको उनका कमरा बड़ा लगा होगा। वैसे आप फ़िक्र मत किजिए हमारे यहां गैस्ट रूम भी है। आप चाहे तो वहां भी रह सकती है।"

ये सुन कर अलवीरा शहनाज़ के पास आकर, "अरे नहीं मैं तो बस ऐसे ही कह रहीं थीं। वो, क्या है ना मैं कोई भी बात अपने मन में नहीं रख सकतीं हुं जो भी मुझे लगता है वो मैं कहें देती हुं। I hope तुम्हें बुरा नहीं लगा होगा।"

शहनाज़ उसे देखते हुए, "कैसी बात कर रही है अलवीरा जी? ये कोई बुरा मानने वाली बात है क्या?"

अलवीरा बैंड पर बैठ कर पुछती है, "अच्छा अगर मैं यहां रहु तो तुम्हें तो कोई problem तो नहीं होगा?" 

शहनाज़ मुस्कुराते हुए जवाब में कहा, "बिल्कुल नहीं इसी बहाने मुझे एक दोस्त भी मिल जाएगी।"

अलवीरा मुस्कुराते हुए कहा, "पर मुझसे दोस्ती करने के लिए एक शर्त है।"

शहनाज़ उसे देखते हुए मुस्कुरा कर बोली, "अच्छा और वो क्या है?" 

अलवीरा भी मुस्कुराते हुए, "यही जो तुम मुझे अलवीरा जी अलवीरा जी कहकर बुलाती हो ये बंद करना पड़ेगा। ये सुन कर मुझे ऐसा लगता है कि मैं कितनी बड़ी हुं। हां हो सकता है हमारी उम्र में कुछ डिफरेंस हो पर एक दोस्त दुसरे को आप या जी कहकर नहीं बुलाते, बोलों मंजूर है।" 

शहनाज़ मुस्कुराते हुए, "ok! अगर इस एक शर्त को मानकर मुझे इतनी अच्छी दोस्त मिलती है तो बिल्कुल मंजूर है।"

ऐसा कहकर दोनों हंसने लगती है। तभी अलवीरा की नज़र शहनाज़ के बचपन की फैमली फोटो पर पड़ती है और वो उसे उठाकर देखते हुए, "शहनाज़ ये तुम्हारी बचपन की फोटो है?"

शहनाज़ उसे दिखाते हुए, "हां इसमें हमारी पुरी फैमली है।"

उसे देखकर अलवीरा कहती हैं, "शना इसमें कौन-कौन हैं?"

शहनाज़ उसे देखाते हुए, "ये मेरे अब्बू है, ये अम्मी, ये बीच मैं हूं, और ये शाहिद भाई, ये सोहेल भाई।"

 अलवीरा पुछती है, "अभी जो कमरे में मिलें थे वो?"

"वो तो शाहिद भाई है, मेरे सबसे बड़े भाई, सोहेल भाई यहां नहीं रहते वो अमेरिका पढ़ाई करने गए है।" शहनाज़ उठते हुए कहती हैं।

तभी नीचे से अम्मी उसे बुलाती है। जिसे सुन कर शहनाज़ अलवीरा से, "अच्छा तो आप आराम किजिए मैं आती हूं।"ये कहकर वो चली जाती है। 

रात को डिनर का समय,

रात के करीब 8.30 बज रहे होते हैं। रात के खाने के लिए मीना और शहनाज़ टेबल लगा रही होते हैं। वहीं पास में अम्मी किसी से फोन पर बात कर रहीं हैं। शाहिद भी खाना खाने डिनर टेबल पर आता है, कुछ समय में वे खाने के लिए टेबल पर बैठ जाते हैं। लेकिन अब तक अलवीरा नहीं आईं हैं ।

"अरे नाज़ बेटा तुमने अलवीरा को बुलाया की नहीं खाने के लिए।" कहती हुई उसे देखती है।

"अ... Sorry ! अम्मी मैं भुल गई शायद वो सो रही होगी।" नाज़ कहती हुई अपने सर पर हाथ रखती है।"

"कोई बात नहीं बेटा जाकर अभी बुला लाओ।" अम्मी ने कहा।

शहनाज़ जी अम्मी कहती ऊपर चली जाती है। थोड़ी देर बाद शहनाज़ नीचे आकर कहती हैं, "अम्मी वो आ रही है, मैंने कहा ना वो सो रही थी। अभी कपड़े बदल कर आ रही है।"

शाहिद उसे इशारे करते हुए, "चलों तुम बैठो अच्छा अम्मी, शहनाज़ मुझे आप लोगों से कुछ कहना था।"

अम्मी, "क्या बात है बेटा।"

शाहिद कहता है, "अम्मी वो, ।"

शाहिद के बात शुरू करते हि अलवीरा नीचे आती है, इससे पहले वो कुछ कहता उसकी नज़र अलवीरा पर पड़ती है। वो एक नाइट ड्रेस में नीचे आती है। ये देख शाहिद को कुछ अच्छा नहीं लगता, अलवीरा टेबल के पास आकर बैठती है।

"खाला जान आप लोग इतनी जल्दी डिनर कर लेते हैं।" कहती हुई बैठती है।

अम्मी स्माइल करतीं हुई, "हां बेटा आओ बैठो।"

शहनाज़ अलवीरा को अपने पास बैठने को इशारा करती है और अलवीरा शाहिद के सामने की कुर्सी पे बैठ खुद को खाना परोसाती है। अम्मी अलवीरा को बताते हुए कहती हैं,

"अलवीरा बेटा आपकी अम्मी का फोन आया था कुछ देर पहले, पुछ रही थी कि आप खैरियत से पहुंच गई कि नहीं, आप ने बताया नहीं उने।"

अलवीरा खाना खाते हुए, "नहीं खाला वो सुबह से समय नहीं मिला मुझे और मेरा फोन भी डिस्चार्ज हो गया था तो मैं उसे चार्ज पर रख कर सो गईं मैं बात कर लुंगी उनसे।"

शहनाज़ उसकी तरफ देख, "अच्छा अलवीरा अपने बताया नहीं आप कौन से subject के लिए एप्लाई करने वाली है, और कौन से कॉलेज में?"

ये सारी बातें शाहिद भी सुनते हुए खाना खा रहा था। 

"अ...वैसे सोचा है कि fashion design के फिल्ड में टराय करू because I like designing so" ऐसा कहकर वो उसे देखती है। 

नाज़ स्माइल के साथ wow कहती है। अलवीरा खाना खाते हुए, "वैसे मैंने कुछ कालेज shutlist किया है, वैसे तुम अभी क्या कर रही हों?" 

"मैं अभी BA कर रही हुं और उनके बाद LLB की तैयारी करूंगी।" नाज़ ने कहा। 

इस पर अलवीरा खुश हो कर, "wow ! यार मतलब तुम वकिल बनना चाहती हो, good !"

"शाहिद बेटा तुम अलवीरा की मदद कर देना दाखिले में, यहां नई है न।" कहती हुई अम्मी अलवीर के तरफ़ देखती है। 

शाहिद, "जी अम्मी।" कहता हुआ हम्मी भरता है।

शाहिद शहनाज़ कि तरफ देख कर, "वैसे तुम्हारा एडमिशन कब से शुरू हो रहा है?"

"जी भाई 2-3 दिन है अभी।"

"ठीक है मुझे बता देना मैं साथ चलुंगा।" शाहिद ने कहा। 

शहनाज़ अलवीरा को देखकर, "वैसे आप चाहें तो मेरे कालेज में भी पढ़ सकतीं हैं। वहां भी as subject fashion design पढ़ाई जाती है।"

ये सुन अम्मी कहती हैं, "ये तो बहुत अच्छा है इसी बहाने दोनों साथ कालेज जाएगी कोई चिंता नहीं होगी।"

अलवीरा मुस्कुराते हुए बोली, "तो ठीक है खाला मैं शहनाज़ के साथ जाकर देख लेती हुं सब ठीक रहा तो हम ऐडमिशन करा लेंगे।"

 

शहनाज़ और अलवीरा के कालेज का पहला दिन है

 

शाहिद अपने औफिस जाने के लिए तैयार होकर हाल में बैठा फोन पर बात कर रहा होता है। तभी कुछ समय में शहनाज़ कालेज जाने के लिए तैयार हो कर हाल में नीचे आती है। फोन पर बात खत्म होते ही शाहिद ने चलने के लिए कहा। शहनाज़ सिडीयो के तरफ़ देखती हुई,

"अरे भाई अलवीरा को तो आ जाने दो, वो तैयार हो रही है।"

तभी किचन से अम्मी शहनाज़ को बुलाती है तो नाज़ चली जाती है। शाहिद इस दौरान अपनी फाइल देखने लगता है तभी अलवीरा कालेज के लिए तैयार हो कर नीचे आती है और फाइल देखते हुए शाहिद की नज़र उस पर पड़ती है वो एक modan dress पहन कर आती है। उसे देख शाहिद को अच्छा नहीं लगता उधर शहनाज़ भी किचन से निकल आती है । अलवीरा को ऐसे ड्रेस में देखती है और फिर उसकी नज़र शाहिद पर पड़ती है उसके चेहरे को देखकर वो समझ जाती है।

 

Dear reader please do comment and rating on this story... Thanks...🙏🙏


मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

एक अच्छी कहानी👌👌👍 आप मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

1 दिसम्बर 2023

__Santoshi__ "Katha"

__Santoshi__ "Katha"

2 दिसम्बर 2023

धन्यवाद 🙏 जी जरूर

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रचनाएँ
Anjana pyar...
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ये एक प्रेम कहानी है। शाहिद और अलवीरा की.... जो एक घर में रह कर भी अलग अलग दुनिया जी रहे हैं। फिर कुछ मोड़ जो इन्हें एक दुसरे के पास लाकर एक रिश्ते में बांध देते हैं। यह एक परिवार की कहानी भी है जिसमें सब के मन में एक दुसरे के लिए सम्मान और प्रेम है। कहानी पुरी जानने के लिए पढ़ना शुरू करें आपको बहोत पसंद आएगी कहानी है।

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