मेरा साथ दे रही बस मेरी चाह है
मंज़िल तक पहुचने की बड़ी कठिन राह है
मेरी चाह कहे रही कुछ तो ऐसा काम कर
विश्व में अपने देश का सबसे ऊचा नाम कर
मेरी राह में खड़ा भ्रस्ट तंत्र का पहाड़ है
मंज़िल तक पहुचने की बड़ी भ्रस्ट राह है
मेरी चाह खहरही इस भ्रस्टतंत्र को तोड़ कर,
तू मेहनत और ईमान से देश का विकाश कर
मेरी राह में खड़े दुष्ट तो अनेक है
जो देह से तो एक है पर चरित्र के अनेक है
मेरी चाह कह रही इन दुष्टो पे तू वार कर
ना डर तू ना डग तू इन दुष्टो का विनाश कर