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संत कबीर दास

30 नवम्बर 2015

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रचनाएँ
darkee
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उजालो ने साथ ना दिया मेरा, मुझे तो बस इस अंधरे ने ही थामा है आ रहा हु में, हर दिल में अँधेरे का डर ला रहा हु में
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भगवन की दुनिया

25 नवम्बर 2015
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कहते है भगवन ने पूरा ब्रह्माण्ड बनाया है उसी सूरज, तारे,चाँद, धरती को बनाया है उसेने ही समुन्दर पहाड़ पेड़ पर फल-फूलो को महकाया है जीव-जंतु , नर-नारी, पशु-पक्षी इन सभी को ईश्वर ने ही तो बसाया है सुख-धुख, पाप-पुण्य, लाभ-हानि, जीवन-मरण यही तो उसकी माया है उसने हे देव बनाया उसने ही दानव, उसने ही धर्म बना

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चाह

25 नवम्बर 2015
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मेरा साथ दे रही बस मेरी चाह है मंज़िल तक पहुचने की बड़ी कठिन राह है                 मेरी चाह कहे रही कुछ तो ऐसा काम कर                 विश्व में अपने देश का सबसे ऊचा नाम कर मेरी राह में खड़ा भ्रस्ट तंत्र का पहाड़ है मंज़िल तक पहुचने की बड़ी भ्रस्ट राह है                 मेरी चाह खहरही इस भ्रस्टतंत्र को तो

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छल

26 नवम्बर 2015
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जो बीत गया सो कल जो आएगा सो पल जो साथ चले सो छल 

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एक योगीश्वर एक भूतेश्वर

29 नवम्बर 2015
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एक योगीश्वर एक भूतेश्वर एक नन्द लाल एक महाकाल                              एक मथुरा वृन्दावन वासी                              एक जंगल समशान निवासी एक लक्ष्मीपति एक पार्वतेपति एक जगतनाथ एक भूतनाथ                              एक श्यामअंग चन्दन केशर-कस्तूरी लगावे                               एक नीलकं

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एक नन्द लाल एक महाकाल

29 नवम्बर 2015
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एक योगीश्वर एक भूतेश्वर एक नन्द लाल एक महाकाल                              एक मथुरा वृन्दावन वासी                              एक जंगल समशान निवासी एक लक्ष्मीपति एक पार्वतेपति एक जगतनाथ एक भूतनाथ                              एक श्यामअंग चन्दन केशर-कस्तूरी लगावे                               एक नीलकं

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संत कबीर दास

30 नवम्बर 2015
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