ये आंखें मस्तानी है,उसे चंचल चितवन की दी गई उपमा है; कभी झुकती पलकों के नीचे से झांकती दिखती ये उपमा है।कभी मदहोशी का आलम बिखेरती,नशीली,नखराली,शोख चंचल;तो कभी निस्तब्ध,गंभीरता क
शब्द बड़े चंचल,बड़े विचित्र,बड़े बेशर्म और होशियार;शब्दों को एक जगह बैठाओ,बैठने को नहीं तैयार;उन्हें बोला मिलकर बनाओ वाक्य श्रृंखला साकार;सोशल डिस्टेंसिंग का बहाना कर मिलने को नहीं तैयार।चुन चुन कर पास लाया उन्हें, लेकिन दूर हो जाते बार