नैन की नैन से हो रही बात है ।
प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥
बावरी हूँ विरह में तुम्हारे पिया ।
आपके प्यार की मैं दुखारी पिया ।
आस हो तुम हमारी हो विश्वास तुम ।
मेरे जीवन की कन्ते हर इक सांस तुम ।
तेरे हाथों अब तो मेरा हाथ है ।
प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥
प्राणप्रिय मैं तुम्हारी हूँ अर्धांगिनी ।
आधे तन की तुम्हारे हूँ मैं स्वामिनी ।
इसलिए रोकती हूँ न जाओ प्रिये ।
वल्लभे तुम मुझे क्यों हो व्याकुल किये ।
हुआ अब विरह तप्त ये गात है ।
प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥
देखकर ही तुम्हे सांस चलती मेरी ।
तुम न जाओ अभी ये है विनती मेरी ।
रोते रहते नयन आपकी चाह में ।
मैंने बरसों बिताए सजन राह में ।
आप के बिन न भाता मुझे प्रात है ।
प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥
होते हम तुम तो होता ये मौसम नहीं ।
होता मौसम तो होते हैं हम तुम नहीं ।
आज हम तुम भी हैं और मौसम भी है
मस्त बारिश की बूदों की छम-छम भी है ।
तेरी खातिर ही मेरा ये श्रृंगार है ।
प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥
(आदित्य त्रिपाठी)