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kiran

आदित्य त्रिपाठी

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kiran

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पुस्तक के भाग

1

चांदनी रात

29 मई 2015
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नैन की नैन से हो रही बात है । प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥ बावरी हूँ विरह में तुम्हारे पिया । आपके प्यार की मैं दुखारी पिया । आस हो तुम हमारी हो विश्वास तुम । मेरे जीवन की कन्ते हर इक सांस तुम । तेरे हाथों अब तो मेरा हाथ है । प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥ प्राणप्रिय मैं तुम्हारी हूँ अर्

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मित्रता

3 जून 2015
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फूल बनकर खिलो एक कमल की तरह कर दो शीतल सभी को विधु की तरह । आरजू है हमारी मेरे भाइयों जब मिलो तो मिलो दोस्तों की तरह । था अभी पंक में एक पंकज खिला पंक बोला कि इससे हमें क्या मिला । बोला पंकज कि तुझमें मेरी जान है दोस्त तुझसे ही मेरी ये पहचान है । नाम तेरा बढ़े इस गगन की तरह फूल बनकर खिलो एक

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