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चित्रकूट भरत कूप

18 जनवरी 2024

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भरतकूप*******
भरत जी जब रामचंद्र जी को मनाने अयोध्या से चित्रकूट आए थे तब उन्होने  रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के लिए साथ में सभी तीर्थों का जल ले लिया था लेकिन प्रभु पित्राज्ञा से  14 वर्ष के वनवास के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ थे ।

भरत कूप 
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तब भरत जी ने अत्रि ऋषि की परामर्शानुसार अपने साथ में लाए हुए जल को एक कूप में रख प्रभु श्रीराम की खंड़ाऊ लेकर लौट गए थे । यहां पर राम सीता लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न जी की धातु की मूर्तियां दर्शनीय है  ।वास्तुशिल्प के अनुसार यह बहुत ही प्राचीन मूर्तियां बताई जाती हैं  ।

इस स्थान पर स्नान करने से सभी तीर्थों का जल होने के कारण सभी तीर्थों के स्नान का पुण्य मिल जाता है ।यह इलाहाबाद चित्रकूट खजुराहो मार्ग पर पड़ता है । रामघाट से  लगभग 12- 13 किलोमीटर दूर है ।

कोटि तीर्थ *******

यहां पर एक कोटि मुनीश्वरों ने रामचंद्र जी के दर्शन हेतु तप किया था । यह संकर्षण पर्वत के पूर्व दिशा में स्थित है समस्त पापों का निवारक स्थान कहा जाता है । यहां पर भगवान शिव जी भी माता गौरा के साथ रहे थे । यहां दर्शन मात्र से सहस्त्र गोदान का फल मिलता है। रामघाट से पूर्व 6 मील दूर पर्वत पर स्थित है । यहां एक शिव जी का मंदिर है इस स्थल को सिद्ध बाबा का आश्रम भी कहते हैं ।

इसी संकर्षण पर्वत में पास में सोम तीर्थ  सूर्य तीर्थ ,वायु,यम व अग्नि आदि पंच तीर्थ हैं । पर्वतीय मार्ग में सरस्वती नदी मिलती है ।गृद्धाश्रम, सिद्धाश्रम व मणिकर्णिका आदि आश्रम हैं ।कुछ दूरी पर ही बृह्मपदतीर्थ है ।

देवांगना *******

इसी पर्वत पर कोटि तीर्थ से लगा देवांगना है ।  यहाँ के घुमावदार रास्ते मसूरी की याद ताजा कर जाते है ।मान्यता है कि जब श्री रामचंद्र जी 14 वर्ष के वनवास में यहां पर आए तो सभी देव अप्सराएं उनके दर्शनार्थ यहीं पर रुकी थी ।

देवलोक की अप्सरा मेनका फिर यही बस गई थी । यह स्थान कोटि तीर्थ से लगभग 1 किलोमीटर दक्षिण की ओर पड़ता है।यहीं इन्द्र पत्नी शची भी रुकी थी ।यहां देवकन्या ने तप किया था जो इंद्र की बहू जयंत की पत्नी थी । जंगली पशु व डाकुओं के भय से पहले यहां पर लोग नहीं आते थे पर अब जाते हैं । यह साधकों के लिए परम शक्तिशाली तपस्थली है ।
                  


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रचनाएँ
पावन चित्रकूट
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प्रस्तावित पुस्तक में मैने अपनी भावी पीढ़ी को कहानी के माध्यम से ऐतिहासिक ,धार्मिक स्थल चित्रकूट के बारे में जानकारी देते हुए अपनी संस्कृति से परिचित कराने का छोटा सा प्रयास किया है ।आपको यह कोशिश कैसी लगी समीक्षा देकर अपने विचार अवश्य बतायें। चित्रकूट भारत के सबसे प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है । आइये पुस्तक में अवलोकन करते हैं परम पावन रमणीय चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों का । " जय श्रीराम"
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महिमा चित्रकूट की (1)

11 जनवरी 2024
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दादी जी दादी जी!! "आज आप हमें चित्रकूट के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं वहां ऐसी क्या विशेषता थी कि भगवान राम जी ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल के 12 वर्ष वहीं बिताये"?जरूर कृष्णा बेटा आज तुम स

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दर्शनीय स्थल (2)

11 जनवरी 2024
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इसी चित्रकूट में श्री रामचंद्र जी ने माता पिता द्वारा दिये गये 14 वर्ष के वनवास में 12 वर्ष यहीं गुजारे थे।महर्षि अत्रि व पत्नी अनुसूया की यह पवित्र तपोस्थली थी । यह धर्म की नगरी कही जाती

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पावन पवित्र स्थल

12 जनवरी 2024
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मन्दाकिनी नदीनदी के विहंगम दृश्यों पर नजर डालने से यहां के घाट बनारस की याद ताजा कर जाते हैं । यहां शाम को बनारस की ही तरह आरती और कीर्तन होते है ।दीपावली अमावस की काली रात मे प्रज्वलित दी

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प्रमुख और रमणीय स्थल

12 जनवरी 2024
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मुख्य देव कामदगिरि *****कामद गिरि की विशेषता है कि यह हर ओर से देखने मे धनुषाकार ही दिखता है।यह चित्रकूट का सबसे प्रमुख स्थान है ।इसका कामदगिरि के नाम से संरक्षण ट्रस्ट भी है । यह भगवान के

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चित्रकूट में भरत-लक्ष्मण

12 जनवरी 2024
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भरत मिलाप *********बच्चो रामचन्द्र जी पिता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष को पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते अयोध्या में कैकेयी पुत्र भरत व सुमित्रा नन्दन शत्रुघ्न लौटकर

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चित्रकूट में जानकीकुंड

16 जनवरी 2024
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जानकीकुंड ********रामघाट से 2 किलोमीटर मंदाकिनी नदी के किनारे (जनक सुता होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा गया है) मान्यता है सीता जी यहां स्नान करती थी ।जानकी कुंड में रामभद्राचार्य जी जो तुलसी पीठ

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अनुसूया आश्रम व गुप्त गोदावरी

16 जनवरी 2024
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ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।अनुसूया आश्रमजानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह

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संकर्षण गिरि में हनुमानधारा

16 जनवरी 2024
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कामदगिरि के पूर्व दिशा में एक संकर्षण गिरि है ।इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में पहाड़ के सहारे टिकी हनुमान जी की विशाल मूर्ति है मूर्ति के ठीक ऊपर पहाड़ मे 2 कुंड हैं जिनका जल मूर्ति क

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चित्रकूट भरत कूप

18 जनवरी 2024
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भरतकूप*******भरत जी जब रामचंद्र जी को मनाने अयोध्या से चित्रकूट आए थे तब उन्होने रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के लिए साथ में सभी तीर्थों का जल ले लिया था लेकिन प्रभु पित्राज्ञा से 14 वर्ष के

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मड़फा आश्रम, सुतीक्ष्ण व सरभंग आश्रम

18 जनवरी 2024
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मड़फा पहाड़********भरतकूप क्षेत्र में बीहड़ जंगल में लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मरपा पहाड़ है इसी पहाड़ पर मांडव ऋषि का आश्रम था जिसके कारण इसका मांडव ऋषि का अपभ्रंश रूप होकर मड़फा पहाड़ के

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बाल्मीकि आश्रम

21 जनवरी 2024
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रामदर्शन ********यह सतना चित्रकूट मार्ग पर आरोग्यधाम के आगे रास्ते मे है ।यह एक संग्रहालय है यहां राम जी व रामायण काल से सम्बंधित वस्तुये है ।एक चित्रगैलरी मे बिजलीचालित रामायण कथा दिखाई जाती है । यहा

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शबरी प्रपात

21 जनवरी 2024
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बांके सिद्ध आश्रम *******बांके सिद्ध अनसूया जी के भाई सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का स्थान कहा जाता है । इस गुफा में लगभग 15- 20000 वर्ष पहले के प्राकृतिक शैल भित्ति चित्र हैं जो प्रशासन क

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